कुर्मी समाज का सरकार में हो समुचित प्रतिनिधित्व

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सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच के बैनर तले दिल्ली के कंस्टीटूशन क्लब में कुर्मी समाज द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया इस अवसर पर सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच  के महामंत्री जगदीश शरण गंगवार ने पत्रकार वार्ता में कहा कि देश के हिंदी भाषी क्षेत्रों में कुर्मी समाज की जनसंख्या बहुलांश में हैं.  जैसे उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत मध्य प्रदेश में 17 प्रतिशत बिहार में 11 प्रतिशत झारखण्ड में 22 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में 20 प्रतिशत राजस्थान में 10 प्रतिशत हैं फिर भी हमे सरकार अनदेखा ओर अनसुना कर रही है आगे उन्होंने कहा की  विगत लोकसभा एंव विधानसभा चुनावों में 90 प्रतिशत कुर्मी समाज भाजपा के पक्ष में मतदान किया परिणामस्वरूप सर्वधिक सांसद एंव विधायक भाजपा के चुनकर आये. लेकिन अगर बात करें उत्तर प्रदेश में कुर्मी विरादरी की 12 प्रतिशत जनसंख्या होते हुए भी आज तक कोई मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री राज्यपाल आदि नहीं बनाया गया और न ही उत्तर प्रदेश से केंद्र में कोई कैबिनेट मंत्री बनाया जा सका. उत्तर प्रदेश में तीस विधायकों की संख्या के आधार पर पांच मंत्री बनने चाहिए थे जबकि बनाये गए सिर्फ दो. यहाँ ये बताना आवश्यक है की बसपा सरकार में कुर्मी समाज के नौ मंत्री थे सपा सरकार में सात मंत्री थे राजनीति के अतिरिक्त्त जहा भी समाज के अनेक समयों में आयोगों के सदस्य रहे हैं लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश के चार चयन आयोगों में कुर्मी विरादरी का कोई भी सदस्य नहीं है  इसी तरह उत्तर प्रदेश में 25 विश्वविधायलों में कुर्मी समाज का कोई भी कुलपति नही है.

कुर्मी विरादरी एक विकाशसील समाज है, कालांतर में खेती पर आधारित रहने के बाद भी शत प्रतिशत शिक्षित होने का गौरव उसे प्राप्त है तथापि सरकार की ओर से अपेक्षित अवसर एंव प्रतिनिधित्व न दिए जाने के कारण यह उपेक्षित एंव हतोत्साहित है. इसके निदान हेतु सरदार पटेल बौद्घिक विचार मंच सरकार से मांग है कि..

  1. देश में सर्वाधिक कुर्मी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में आगामी चुनाव में कुर्मी समाज के प्रतिनिधियों को टिकट दिया जाये.
  2. उत्तर प्रदेश में विधायकों की संख्या के आधार पर समाज के मंत्री बनाये जाए.
  3. कुर्मी समाज के विधायको की संख्या के आधार पर विधान परिषद में सदस्य भेजे जायें.
  4. राज्यपाल द्वारा नामित सदस्यों में भी समाज को प्रतिनिधित्व मिलें.
  5. देश के विभिन्न शासकीय संस्थाओं में अपेक्षित एंव अधिकृत प्रतिनिधित्व मिले.

उन्होंने कहा कि संख्या के बल के अनुपात मे यदि समाज को सत्ता या विभिन्न शासकीय आयोगों/ संस्थाओं में समुचित भागीदारी नहीं मिली तो आगामी लोकसभा चुनाव में समाज को अन्य सियासी विक्लप तलाशने हेतु जागरूक किया जायेगा. इस दौरान प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद, पूर्व महामहिम राज्यपाल त्रिपुरा, डा0 क्षेत्रपाल गंगवार, पूर्व अध्यक्ष उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रो0 कौशलेश लाल प्रोफेसर दि्ल्ली विश्वविधालय श्री उमेश कुमार सिंह, निदेशक किक्की एंव समाज के अन्य लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किये