इलाज की रूपरेखा तय करने के लिए मंगलवार को बैठक की गई
इलाज शुरू करने को आईसीएमआर से ली जाएगी इजाजत
भागलपुर, 25 अगस्त
कोरोना मरीजों के प्लाज्मा तकनीक से इलाज करने की कवायद तेज हो गई है. इसे लेकर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के प्राचार्य डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक आयोजित की गई. बैठक में इलाज की रूपरेखा तय की गई. कोरोना मरीजों का प्लाज्मा तकनीक से कैसे इलाज हो और उसके लिए कौन-कौन से संसाधन विकसित करने हैं, इस पर भी बैठक में चर्चा हुई. प्लाज्मा तकनीक से कोरोना मरीजों के इलाज में अस्पताल स्थित ब्लड बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए ब्लड बैंक का अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा. साथ ही प्लाज्मा तकनीक से जल्द इलाज शुरू करने के लिए आईसीएमआर से इजाजत जल्द लेने पर भी सहमति बनी.
जेएलएनएमसीएच के प्राचार्य डॉ. हेमंत सिन्हा ने बताया कि अब जल्द ही अस्पताल में प्लाज्मा तकनीक से कोरोना मरीजों का इलाज शुरू हो जाएगा. इसे लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. उन्होंने बताया कि जेएलएनएमसीएच में प्लाज्मा तकनीक से इलाज के लिए जरूरी मशीन इंस्टॉल कर दी गई है. साथ ही कर्मियों की तैनाती को लेकर रोस्टर बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उम्मीद है कि दो-चार दिनों के अंदर प्लाज्मा तकनीक से कोरोना मरीजों का इलाज होने लगेगा.
अबतक 50 से अधिक लोगों ने प्लाज्मा दान करने की दी सहमति: घंटाघर स्थित कोविड केयर सेंटर में तैनात डॉ. अमित कुमार शर्मा बताते हैं कि स्वस्थ हुए लोगों में से अब तक कुल 50 से अधिक लोगों ने अपने-अपने प्लाज्मा दान करने की सहमति प्रदान की है. इन लोगों के नाम, पता व मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज किया जा चुका है, ताकि प्लाज्मा की जरूरत पड़ने पर इन लोगों को जेएलएनएमसीएच के ब्लड बैंक तक पहुंचाकर प्लाज्मा दान कराया जा सके.
एक व्यक्ति के प्लाज्मा से बचेगी चार कोरोना मरीजों की जान: प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों का इलाज बहुत ही कारगर साबित हो रहा है. अभी पटना के एम्स व आईजीआईएमएस में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना इलाज चल रहा है. कोरोना डेडिकेटेड मायागंज अस्पताल के नोडल प्रभारी डॉ. हेमशंकर शर्मा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए एक व्यक्ति द्वारा दिये गये प्लाज्मा दान से चार कोरोना मरीजों की जान बचायी जा सकेगी. कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए लोगों में कोरोना संक्रमण के विरुद्ध एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती है. उसी एंटीबॉडी को प्लाज्मा के जरिये कोरोना मरीजों को चढ़ाया जायेगा, ताकि वे कोरोना से जल्दी ठीक हो सकेंगे. अगर इस थेरेपी का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल हुआ तो जिले में हर रोज कम से कम 25 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत होगी.