हम नहीं चाहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी ताउम्र फाइलेरिया (हाथी पांव ) जैसी बीमारी के साथ गुजारें, इसलिये खाई दवा : उमेश शर्मा

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– दुर्गा पूजा की छुट्टियों के बाद जिला में एक बार से शुरू हुआ कार्यक्रम

– जमालपुर के वार्ड संख्या 5 निवासी उमेश शर्मा और स्वर्णलता देवी ने खाई दवा

मुंगेर, 19 अक्टूबर। हम नहीं चाहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी फाइलेरिया (हाथी पांव ) जैसी बीमारी के साथ बची हुई जिंदगी गुजारें। इसलिये खाई दवा । उपर्युक्त बातें मंगलवार को जमालपुर नगर परिषद के वार्ड संख्या 5 के रहने वाले 52 वर्षीय उमेश शर्मा ने फाइलेरिया की दवा अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खाने के बाद कही। उन्होंने बताया कि मेरे रिश्तेदार में एक व्यक्ति को फाइलेरिया या हाथी पांव की बीमारी हो गई थी। इसके बाद उन्हें इस बीमारी से निजात नहीं मिल पाई। इसलिए हम चाहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी कभी भी इस बीमारी का शिकार नहीं हो। इसलिए मैंने खुद फाइलेरिया की दवा खाने के साथ-साथ अपनी पत्नी 40 वर्षीय स्वर्णलता देवी को भी फाइलेरिया की दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी की टैबलेट खाने के लिए प्रेरित करते हुए अपने सामने दवा खिलवाई। मंगलवार को जमालपुर नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 5 में पीसीआई एमडीए प्रोग्राम मुंगेर के एसएमसी राकेश कुमार, मिथिलेश कुमार के नेतृत्व में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इंदू देवी और रेखा कुमारी ने अपने सामने उमेश शर्मा, स्वर्णलता देवी सहित कई अन्य लोगों को फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए अल्बेंडाजोल और डीईसी की टैबलेट खिलवाई।

उमेश शर्मा की पत्नी 40 वर्षीय स्वर्णलता देवी ने बताया कि मंगलवार को फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए आई टीम के सदस्यों ने बताया कि साल में कम से एक बार भी फाइलेरिया की दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी खाने के बाद हाथी पांव बीमारी होने की संभावना काफी हद तक समाप्त हो जाती है। मैं और मेरे पति दोनों ने आज फाइलेरिया की दवा खा ली है। इसके साथ बाद हमदोनों पति-पत्नी अपने आसपास रह रहे लोगों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंसलटेंट पंकज कुमार प्रणव ने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पांव एक गम्भीर बीमारी है। इस बीमारी से मुंगेर जिला भी काफी प्रभावित है। हाथी पांव के साथ- साथ हाइड्रोसिल का बढ़ जाना भी फाइलेरिया के ही कारण होता है। हालांकि एक छोटे से ऑपरेशन के बाद बढ़े हुए हाइड्रोसिल से तो निजात मिल जाती है लेकिन यदि किसी को हाथी पांव की बीमारी हो जाती है तो उसे ताउम्र उसके साथ ही गुजारना पड़ता है। इस बीमारी से बचने का एक ही जरिया है कि दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोग साल में कम से कम एक बार अवश्य फाइलेरिया की दवा अल्बेंडाजोल और डीईसी की टैबलेट का सेवन करें। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवम किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित लोग इस दवा का सेवन नहीं करें। हालांकि बच्चों को स्तनपान कराने वाली माताएं फाइलेरिया की दवा अल्बेंडाजोल और डीईसी की टैबलेट का सेवन कर सकती हैं।

जिला में 20 सितंबर से चल रहा है एमडीए अभियान :
पीसीआई के एमडीए प्रोग्राम एसएमसी राकेश कुमार ने बताया कि विगत 20 सितंबर से ही जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंड़ों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के सहयोग से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर- घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया की दवा अल्बेंडाजोल और डीईसी खिला रही हैं। आमलोगों से अपील करते हुए उन्होने कहा कि फाइलेरिया जैसी बीमारी को मुंगेर से दूर भगाने के लिए सभी जिला वासी जब भी उन्हें फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता की टीम उनके घर जाए तो वो स्वयं उनके सामने दवा खाने के साथ ही अपने परिवार के सभी लोगों, आस पास रहने वाले सभी लोगों और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि दो से पांच वर्ष तक के बच्चों को डीईसी और अल्बेंडाजोल की एक टैबलेट, पांच वर्ष से 15 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों को डीईसी की दो और अल्बेंडाजोल की एक टैबलेट तथा 15 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी की तीन एवं अल्बेंडाजोल की एक टैबलेट दिया जाना है। अल्बेंडाजोल की टैबलेट को चबाकर व डीईसी की टैबलेट पानी के साथ निगल कर खाना है। इन दवाओं को खाली पेट कभी भी नहीं खाना है अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। यदि फाइलेरिया की दवा खाने के बाद किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी महसूस होती है तो तत्काल अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं।