चीन की कंपनियां भारत में निवेश को उत्सुक

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-तीसरा इंडो चाइना टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर में चीन की कंपनियों ने अपने प्रेजेंटेशन दिए।
-इंडो चाइना सहयोग को बढ़ाने पर उत्सुक
-सोलर एनर्जी में निवेश की कई संभावनाएं है चीन से।
-चीन की 50 कंपनियों ने भाग लिया। जिसमें कई बी2बी हस्ताक्षर किए गए।
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तीसरा इंडो-चाइना टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर कांफ्रेंस दो दिनों तक नईदिल्ली में कई महत्वपूर्ण निवेश हस्ताक्षर के साथ संपन्न हुआ । इस खास कांफ्रेंस में चीन और भारत के उद्योगपतियों ने सहाभागिता पर खास चर्चा की। इस खास कार्यक्रम में 50 चाइनिंग कंपनियों ने भाग लिया। कांफ्रेंस के पहले दिन चीन और भारत के कंपनियों ने अपने प्रेजेंटेशन दिए एवं दूसरे दिन बी-2बी मींटिग किए एवं तकनीकी और निवेश पर हस्ताक्षर किए।
आईसीटीसी के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा कि चाइना की कई कंपनियां भारत में निवेश के लिए आई हैं। जिसे सरकार की ओर से सहायता की जरूरत है। आईसीटीसी का यह कांफ्रेंस है जिसमें चीन की कई कंपनियों ने शिरकत की है।
इस मौके पर  इंडो चाइना टेक्नोलॉजी ट्रांस्फ्रर के वाइस चेयरमैन वीके मिश्रा ने कहा कि चीन भारत में निवेश की कई संभावनाएं को तलाशा है। खास तौर से ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भारत में चीन के निवेश करने से रोजगार बढ़ेगी वहीं सस्ते सोलर उत्पन्न भी होंगे। उन्होंने कहा कि चीन भारत में निवेश को उत्सुक है जिसके लिए कई हस्ताक्षर भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि छोटे व मध्यम उद्योग में चीन के तकनीक से बेहतर उत्पादन एवं रोजगार उत्पन्न होंगे। इस कांफ्रेस में खास तौर पर चीन के शोध को बेहतर रूप से उपयोग करने के लिए रखा गया है। कार्यक्रम का थीम ही है केलोबेरेशन इनोवेशन एवं निवेश।
 इस कार्यक्रम में एसएमई इंटरप्राइजेज के सचिव डॉ अरुण कुमार पांडा ने कहा कि आज भारत-चीन को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। आई सी कांसेप्ट विश्व में एक नया ट्रेंड  लाया है। यह आईसी इंडो चाइना है जो विश्व में उद्योग को लीड करने की क्षमता रखता है।
एंबेसी ऑफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के मंत्री ली बिजान ने कहा कि चीन भारत के साथ सहयोग कर रहा है और बेहतर निवेश की यहां संभावना है। भारत चीन मिल जाए तो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर लीड करेगा।
 यूनान एकेडमी ऑफ सांयटिफिक एंड टेक्नीकल इंफोरमेशन के डायरेक्टर जेनरल मा मिक्सिइयांग ने कहा कि यह समिट बिजनेस को बढ़ाने के लिए जरूरत थी। हम तो चाहेंगे कि ऐसे आयोजन चीन में हो जिससे की बेहतर संबंध और व्यापार बढ़ सके। आज निश्चित तौर पर कई समस्या है लेकिन मिलकर बात कर इसका हल निकाला जा सकता है। चीन भारत को सहयोगी देश की तरह देखता है।
इस खास कांफ्रेन्स में दो एमओयू भी हस्ताक्षर किए गए। चीन भारत में एफएमसीजी, मीडिया, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश को तैयार है। शिक्षा के क्षेत्र में भी निवेश को तैयार है इसके लिए विश्वविद्यालय को चीन आमंत्रित किया है। ताकि एक दूसरे को बेहतरीन रूप से समझ सके।
चीन की कई कंपनियों ने इस मौके पर अपने स्टॉल पर उत्पादों का प्रदर्शन किया जिसमें लोगों ने उत्सुकता पूर्वक उत्पादों के बारे में जाना।
गौरतलब है कि भारत में चीन के निवेश को बढ़ाने एवं शोध एवं उसके तकनीक को बेहतरीन उपयोग के लिए इंडो चाइना टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर कांफ्रेस का आयोजन करती रही है। देश में यह  आईसीटीटीसी का तीसराआयोजन किया।