कटोरिया रेफरल अस्पताल के प्रभारी 11 वर्षों से मरीजों का कर रहे इलाज
क्षेत्र में मरीजों के बीच भरोसे का दूसरा नाम है डॉ विनोद कुमार
बांका, 21 अक्टूबर
कोरोना काल में हर कोई सावधानी बरत रहा है. घर से कम निकल रहा है. लोगों से मिलने से बच रहा है, लेकिन इन सबके बीच स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दोहरी चुनौती है. इन मुशकित भरे हालातों में उन्हें अपना बचाव करते हुए लोगों की सेवा भी करनी है. इन्हीं में एक हैं, कटोरिया रेफरल अस्पताल में तैनात डॉ विनोद कुमार, जो ना सिर्फ मरीजों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि उन्हें कोरोना से बचाव के लिए जागरूक भी कर रहे हैं. इस दरम्यान वह कोरोना की चपेट में भी आए, लेकिन स्वस्थ होने के बाद दोबारा अपने काम में लग गए.
डॉ विनोद कुमार कहते हैं उनकी जिम्मेदारी है कि लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करें. रेफरल अस्पताल में उनकी नियुक्ति डॉक्टर के रूप में है. इस वजह से मरीजों का इलाज तो करना है, लेकिन वह यह समझते हैं कि इस संकट के समय अपनी तरफ से और क्या कर सकते हैं. यही सोच कर वह और उनकी पूरी टीम कटोरिया के लोगों की सेवा में लगी हुई है. इसका परिणाम भी सामने आने लगा है. कुछ दिन पहले तक लोग जांच कराने से घबराते थे, लेकिन आज ऐसी स्थिति हो गई है प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की कोरोना जांच हो रही है. अब तो कोरोना के मामले भी कम हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वह और उनकी पूरी टीम लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रही है.
मरीजों में विश्वास का दूसरा नाम बन चुके हैं डॉक्टर विनोद कुमार: कटोरिया रेफरल अस्पताल में पिछले 11 साल से डॉ विनोद कुमार अपनी सेवा दे रहे हैं. क्षेत्र का हर व्यक्ति इनके नाम से वाकिफ है. कई मरीज तो इनके समय में इलाज कराने के लिए रेफरल अस्पताल आते हैं. क्षेत्र के लोगों के लिए विश्वास का दूसरा नाम बन गए हैं डॉक्टर विनोद कुमार.
क्षेत्र के लोगों का भी मिल रहा है सहयोग: डॉ विनोद कुमार कहते हैं कि जब तक आपको क्षेत्र के लोगों का सहयोग नहीं मिलेगा तब तक आप सफल नहीं हो सकते. मेरी सफलता की वजह मेरे क्षेत्र के लोग ही हैं. जबसे कोरोना काल शुरू हुआ यहां के लोगों ने काफी सावधानी बरती. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि आप कटोरिया के ग्रामीण इलाकों में भी जाएंगे तो वहां पर आपको कोई मास्क बांटते दिख जाएगा तो कोई लोगों से शारीरिक दूरी का पालन करवाते दिख जाएगा. यही वजह है कि कटोरिया में कोरोना का इतना व्यापक असर नहीं हुआ जितना के अन्य जगहों पर हुआ.
परिवार के लोगों ने बढ़ाया हौसला: डॉ विनोद कुमार मूल रूप से रोहतास जिले के रहने वाले हैं. यहां पर उनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे रहते हैं. पत्नी हाउसवाइफ हैं, जबकि दोनों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. डॉ विनोद कुमार कहते हैं कि अगर परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो वह अपने काम को इतने अच्छे से नहीं कर पाते जितना किया. उन्होंने बताया जब वह कोरोना संक्रमित पाये गए थे, एक बार तो उन्हें ऐसा लगा कि अब क्या होगा. परिवार के अन्य लोग तो संक्रमित नहीं हो जाएंगे. लेकिन उनके बच्चों ने उनका हौसला बढ़ाया. पत्नी का भी सहयोग मिला. इससे उन्हें आत्मविश्वास मिला. यही कारण है कि वह ठीक होने के तुरंत बाद मरीजों की सेवा में फिर से लग गए.
कोविड 19 बचाव को ले कर कर रहे जागरूक: डॉ विनोद कुमार कहते हैं कि अगर संक्रमण से बचना है, तो इन मानकों का पालन करना आवश्यक है-
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढंके.
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें