पणजी-
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को उनके निजी आवास पर निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को शाम में किया जाएगा। चार बार के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर फरवरी 2018 से ही अग्नाशय के कैंसर से जूझ रहे थे। हालांकि आधिकारिक तौर पर बताया गया था कि वह अग्नाशय संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं। पिछले एक साल से बीमार चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था। पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर शनिवार देर रात से ही जीवनरक्षक प्रणाली पर थे। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री का निधन रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ। पर्रिकर के परिवार में दो पुत्र और उनका परिवार है। उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका है। भाजपा के एक प्रवक्ता ने बताया कि पर्रिकर का पार्थिव शरीर सोमवार को सुबह साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा। उसके बाद पार्थिव शरीर को कला अकादमी ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि लोग सुबह 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक कला अकादमी में पर्रिकर के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे। पर्रिकर की अंतिम यात्रा शाम चार बजे शुरू होगी। उनकी अंतिम संस्कार शाम करीब पांच बजे मिरामर में किया जाएगा। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य की राजधानियों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। पर्रिकर को श्रद्धांजलि देने के लिए सोमवार सुबह 10 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर शुरूआत कर गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री बनने वाले पर्रिकर की छवि हमेशा ही बहुत सरल और सामान्य व्यक्ति की रही। वह सर्वस्वीकार्य नेता थे। ना सिर्फ भाजपा बल्कि दूसरे दलों के लोग भी उनका मान-सम्मान करते थे। उन्होंने गोवा में भाजपा को मजबूत आधार प्रदान किया। लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहने वाले गोवा में क्षेत्रीय संगठनों की पकड़ के बावजूद भाजपा उनके कारण मजबूत हुई। मध्यमवर्गिय परिवार में 13 दिसंबर, 1955 में जन्मे पर्रिकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में करियर शुरू किया। यहां तक कि आईआईटी बंबई से स्नातक करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे।