Mother’s Day 2020: क्यों और कैसे हुई थी मदर्स डे की शुरुआत, जानिए इसका इतिहास

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Beautiful tulips on white wooden background

10 मई 2020 को मदर्स डे हैं. यह दिन मां को समर्पित है. इस दिन मां के योगदान और मातृत्व को नमन करने का भी दिन है. मदर्स डे की शुरूआत कैसे और सबसे पहले कहां से हुई, आइए जानते हैं इसके बारे में-

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Barkha with her daughter Vanshika Gaur

Mother Day: मां नाम जुबान पर आते हैं मन और मतिष्क में मातृत्व और करुणा से भरा वो चेहरा नजरों के सामने आ जाता है जिसे हम सब मां कहते हैं. 1912 में मदर्स डे की शुरूआत अमेरिका से हुई. एना जार्विस एक प्रतिष्ठित अमेरिकन एक्टिविस्ट थीं. जो अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं. उन्होंने कभी शादी नहीं की. उनकी कोई संतान भी नहीं थी. मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की. जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया में मनाने की परंपरा शुरू हुई.

भारत समेत कई देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. मदर्स डे पर हर बेटा अपनी मां को तरह तरह के उपहार व सरप्राइज देकर विश करते हैं और आर्शीवाद लेते हैं.

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Shikha & Raghav Sharma with son Shivay

मई महीने में दूसरे हफ्ते के रविवार को मदर्स डे को तौर पर मनाया जाता है। मां के लिए कोई एक दिन नहीं होता है, वो अलग बात है कि एक खास दिन को मां के नाम निश्चित कर दिया गया है। इस वर्ष ये खास दिन 10 मई को मनाया जा रहा है। अपनी हर तकलीफें एक तरफ कर बच्चों की हर खुशी का ध्यान रखने वाली मां के साथ इस खास दिन को बिताना चाहिए। मदर्स डे लोगों को अपनी भावनाओं को जाहिर करने का मौका देता है। ज्यादातर देशों में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। लेकिन कई देशों में इस खास डे को अलग-अलग तारीखों पर भी मनाया जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि इस खास दिन की शुरुआत कैसे हुई?

मदर्स डे की शुरुआत

मदर्स डे को लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ का मानना है कि मदर्स डे के इस खास दिन की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वर्जिनिया में एना जार्विस नाम की महिला ने मदर्स डे की शुरुआत की। कहा जाता है कि एना अपनी मां से बहुत प्यार करती थी और उनसे बहुत प्रेरित थी। उन्होंने कभी शादी नहीं की और मां का निधन हो जाने के बाद उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए इस खास दिन की शुरुआत की। ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को वर्जिन मेरी का दिन मानते हैं। यूरोप और ब्रिटेन में मदरिंग संडे भी मनाया जाता है।

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Soniya Madaan with her son Chirag

इससे जुड़ी एक और कहानी है जिसके अनुसार, मदर्स डे की शुरुआत ग्रीस से हुई थी। ग्रीस के लोग अपनी मां का बहुत सम्मान करते हैं। इसलिए वो इस दिन उनकी पूजा करते थे। मान्यताओं के अनुसार, स्यबेसे ग्रीक देवताओं की माता थीं और मदर्स डे पर लोग उनकी पूजा करते थे।

9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक कानून पारित किया था। इस कानून में लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा। इसी के बाद से भारत समेत कई देशों में ये खास दिन मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा। तो इस मदर्स डे के खास मौके पर अपनी मां के साथ समय बिताएं, वो सब करें जो व्यस्त होने के कारण आप नहीं कर पाते और मां को खास तोहफे देकर जरूर खुश करें।

 

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है. देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. ऐसे में लोग घरों में रहकर कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे हैं. 10 मई को घर में रहकर मां के साथ इस दिन को यादगार बनाएं. यह पूरा दिन मां के नाम समर्पित करें और घर के सभी लोग इस दिन को जश्न के तौर पर मनाएं. कुछ लोगों ने तो इसकी तैयारी भी की है. लोगों ने अभी से केक के लिए भी ऑडर कर दिया है. लॉकडाउन में मदर्स डे को एक यादगार दिन के तौर पर मनाने के लिए लोगों ने खास तरह से घरों के भीतर रहकर तैयारियां की हैं.

किसी ने रोजा रखा किसी ने उपवास रखा,
कुबूल उसका हुआ जिसने अपने माँ-बाप को अपने पास रखा….!!

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।


“माँ” की एक दुआ जिन्दगी बना देगी,
खुद रोएगी मगर तुम्हे हँसा देगी…
कभी भुल के भी ना “माँ” को रूलाना,
एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी…!!

माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ,
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल में सुलाओ,
उँगलियाँ फेर कर बालों में मेरे,
एक बार फिर से बचपन की लोरियाँ सुनाओ


“All that I am, or hope to be, I owe to my angel mother.”

“We are born of love; Love is our mother.”


कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती,
सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती…
माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते,
खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती.


बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ,
तब जाकर थोडा सा सुकोन पाती है माँ,
प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है ?,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ,
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ ,
जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ.