स्वास्थ्य विभाग के साथ केयर टीम कर रही है एमडीए कार्यक्रम की मॉनिटरिंग
कोविड -19 संक्रमण दौर के कारण सिर्फ घरों की जा रही है मार्किंग
लखीसराय /03 अक्टूबर: फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिला सहित अन्य प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम(एमडीए) की शुरुआत हो चुकी है . स्वास्थ्य कर्मी घर- घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा अपनी मौजूदगी में खिला रहे हैं . दवाई सेवन के बाद उनके घर की मार्किंग भी कर रहे हैं । पूर्व में दावा खिलाने के बाद बायें हाथ की तर्जनी उंगली के नाखुन पर माîकग की जाती थी, पर अभी कोविड -19 के कारण सिर्फ घरों की ही मार्किंग की जा रही है।इस कार्यक्रम के तहत जिला के 12 लाख से अधिक लोगों को फाइलेरिया की दवा दी जायेगी. इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ हर प्रखण्ड में केयर की दो सदस्य टीम मॉनिटरिंग कर रही है ।
जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ॰ धिरेन्द्र कुमार ने बताया फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए 28 सितंबर से मिशन मोड में यह काम शुरू हो गया है. आशा अपने सामने ही फाइलेरिया की दवा खिला रही हैं. सभी लोग फाइलेरिया की दवा खायें क्योंकि इसका साइड ईफैक्ट नहीं है. यदि बुखार या चक्कर आने की समस्या होती है तो घबरायें नहीं. यह फाइलेरिया होने की संभावना की ओर ईशारा करता है।इसलिए इस स्थिति में घबराने के बजाये चिकित्सक से मिल लें. सारी सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी.
उन्होने बताया इस अभियान में केयर इंडिया के साथ डब्लूएचओ एवं जीविका का पूरा सहयोग मिल रहा है।
केयर इंडिया के टीम लीड नावेद उर रहमान ने बतया जिले के हर प्रखण्ड में केयर इंडिया के दो सदस्य इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं जिसमें वह यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार में फाइलेरिया की दवा खिलायी गयी है या नहीं. इस अभियान में केयर इंडिया तीन स्तर से सहयोग कर रहा है । स्पॉट मॉनिटरिंग , बैक मॉनिटरिंग एवं अपने क्षेत्र के पीएचसी प्रभारी और आशा के साथ हर शाम में सामिक्षा करना, जिसमे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कौन सा घर या व्यक्ति इस अभियान से छूट गया है। छुटे हुए व्यक्ति की पहचान होने के बाद उनके घर पर दुबारा जा कर दवा खिलाई जाएगी।
गंभीर रोग है फाइलेरिया: फाइलेरिया एक गंभीर रोग है. इसके लक्ष्ण सामने आने में वर्षों लग जाते है. इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभप्रद है. फाइलेरिया की पूर्णत: रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत यह दवा लोगों को दी जा रही हैं. देश में 256 जिले फाइलेरिया से बुरी तरह प्रभावित हैं. 65 करोड़ भारतीयों को इस बीमारी का खतरा है.विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में पाए जाने वाले फाइलेरिया के 40 फीसदी मरीज भारत में हैं. अधिकांश मामले बिना लक्षणों वाले होते हैं. क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है. यह मच्छर व्यूचेरिया ब्रैंकोफ्टी नामक परजीवी को पीड़ित के शरीर में पहुंचाने का काम करता है. लिम्फ़ प्रणाली के नुकसान होने से पैरों, हाथों और जननांगों में सूजन आती है. पैरों में सूजन होने से पीड़ित हाथीपांव से ग्रसित हो जाता है. अंडकोश भी काफी बड़ा हो जाता है.