कमजोर नवजात की पहचान और उसकी उचित देखभाल को लेकर दो दिवसीय ट्रेनिंग का समापन
आईसीडीएस द्वारा आयोजित दो दिवसीय ट्रेनिंग में जिलेभर की सभी सीडीपीओ हुई शामिल
बांका-
कमजोर नवजात की पहचान और देखभाल को लेकर जिले की सभी सीडीपीओ की दो दिवसीय ट्रेनिंग का समापन हो गया. आईसीडीएस द्वारा शहर के आयोजित ट्रेनिंग शिविर के पहले दिन सभी सीडीपीओ को कमजोर नवजात की पहचान के बारे में बताया गया, जबकि दूसरे दिन बुधवार को उसकी उचित देखभाल की जानकारी दी गई. डीपीओ रिफत अंसारी और धोरैया की सीडीपीओ कुमारी हेमा ने सभी सीडीपीओ को ट्रेनिंग दी. वहीं आईसीडीएस के जिला समन्वयक शम्स तबरेज और केयर इंडिया के कुमार राकेश ने ट्रेनिंग के दौरान तकनीकी तौर पर सहयोग किया.
ट्रेनिंग के दौरान डीपीओ रिफत अंसारी ने कहा कि कमजोर नवजात की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. कोरोना काल में मां की चुनौतियां और बढ़ गयी हैं. कमजोर बच्चे की पहचान सबसे अहम है. अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं तो उसे स्वस्थ बनाना बड़ी बात नहीं है. ऐसा देखा गया है कि कमजोर नवजात में तापमान की कमी की समस्या रहती है. इससे निजात पाने में कंगारू मदर केयर रामबाण साबित हो रहा है. कंगारू मदर केयर के जरिए मां या घर का कोई भी व्यक्ति नवजात को अपने सीने से चिपकाकर उन्हें गर्मी देते हैं. यह प्रक्रिया तब तक करने की सलाह दी जाती है जब तक बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम न हो जाए या फिर एक माह पूरा ना हो जाए।
रिफत अंसारी ने कहा कि कंगारू मदर केयर से शिशु को गर्माहट मिलती है,संक्रमण से बचाव होता है, बार बार स्तनपान करने में सुविधा मिलती है, इसके साथ ही अगर शिशु को दिक्कत हो तो उसकी तुरंत पहचान हो जाती है. कंगारू मदर केयर से बच्चे को स्तनपान कराने में मदद मिलती है. स्तनपान कराने के दौरान सावधानी जरूर बरतनी चाहिए. जैसे कि बच्चे को छूने से पहले हाथ को साफ कर लेना चाहिए. इसके अलावा जब बच्चा पास में हो तो मास्क जरूर पहनना चाहिए. इन सावधानियों के साथ हम कमजोर नवजात को स्वस्थ बना सकते हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा जागरूक: ट्रेनिंग दे रही धोरैया की सीडीपीओ कुमारी हेमा ने कहा कि कमजोर नवजात की देखभाल को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है. आंगनबाड़ी सेविका की मदद से गांव में जाकर लोगों को कमजोर नवजात की देखभाल से संबंधित उपाय बताए जा रहे हैं. कमजोर नवजात पैदा नहीं हो, इसे लेकर गर्भावस्था की शुरुआत से ही देखभाल की जरूरत होती है.
कमजोर बच्चे की कैसे करें पहचान:
ट्रेनिंग के दौरान केयर इंडिया के कुमार राकेश ने कहा कि कमजोर नवजात की पहचान मुख्यतः 3 तरीके से होती है. इसमें पहला तरीका है उसका वजन 2000 ग्राम या इससे कम हो. दूसरा तरीका है कि बच्चा स्तनपान करने में सक्षम नहीं हो और तीसरा तरीका है कि बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह के पहले हो गया हो. इन पैमानों पर नवजात को जन्म के बाद परखने की जरूरत है और अगर बच्चा कमजोर पाया जाता है तो उसकी देखभाल शुरू कर देने की जरूरत है.
कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढंके.
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें