रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर नवजात को बीमारियों से रखें दूर

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बचपन से ही इसका ध्यान रखने पर आगे भी मिलता है फायदा
शुरुआती स्तनपान से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास
भागलपुर, 8 दिसंबर
किसी भी मां के लिए नवजात की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण होता है. थोड़ी सी चूक होने पर बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और वह बार-बार बीमार पड़ने लगता है. इससे बच्चे कमजोर हो जाते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना. बच्चे स्वस्थ रहें, इसलिए मां को उसकी देखभाल सावधानी से करनी चाहिए. इसके लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करना बेहत जरूरी है.
नारायणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ विजयेंद्र कुमार विद्यार्थी कहते हैं किसी भी व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना बहुत जरूरी है. अगर इसका ध्यान बचपन से ही रखा जाए तो आगे भी इसका फायदा मिलता है. जल्दी वह बीमार नहीं पड़ता है. डॉ. विद्यार्थी कहते हैं बच्चे इन्फेक्शन की चपेट में जल्द आ जाते हैं. ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर बीमारियों का असर जल्दी होता है. इस वजह से शरीर कमजोर हो जाता है. साथ ही बच्चों को बहुत सी बीमारियां बदलते मौसम के कारण भी होती है, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने पर बदलते मौसम और संक्रामण वाली बीमारियों से बचा जा सकता है.
जन्म से एक घंटे के भीतर स्तनपान  जरूरी: डॉ. विद्यार्थी ने बताया जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चे को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध अवश्य पिलाए. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को पिलाने से मना करते हैं. जबकि ऐसा करना बिल्कुल गलत है.
बाहरी नहीं, 6 माह तक मां का ही दूध पिलाएं: डॉ. विद्यार्थी ने बताया  6 माह तक के बच्चे को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. इसमे सभी पोषक तत्व मिलते हैं. मां के दूध का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. साथ ही 6 माह के पूरे होने के बाद बच्चे को 2 साल तक  ऊपरी आहार के साथ मां का ही दूध पिलाएं. मां के दूध से बच्चों में अलग-अलग रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है.
हाथ धोकर बच्चे को लें गोद: डॉ. विद्यार्थी ने बताया बच्चे को बीमारियों से बचाने और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए सबसे जरूरी है कि उसे किसी भी तरह के संक्रमण की चपेट में नहीं आने दें. इसलिए साफ सफाई का ध्यान रखें , जरूरी है कि बच्चे को हाथ धोकर लें गोद. बच्चे के होठों या गालों को न चूमें. किसी का जूठा ना खिलाएं. कपड़े और खिलौने को साफ जगह पर रखें.
नींद की कमी नहीं होने दें: डॉ. विद्यार्थी ने बताया स्वस्थ रहने के लिए नींद किसी भी व्यक्ति के लिए जरूरी है. यदि बच्चे की नींद पूरी न हो तो वह जल्द ही बीमारियों की चपेट में आने लगता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चे की नींद पूरी हो. उन्होंने बताया नवजात को एक दिन में 18 घंटे तो छोटे बच्चों को 12 से 13 घंटे नींद की आवश्यकता होती है.
घर में किसी को नहीं करने दें धूम्रपान: डॉ.विद्यार्थी ने बताया घर में बच्चे के आसपास किसी को धूम्रपान नहीं करने दें. अगर कोई धूम्रपान का सेवन घर में करता है तो इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है. धूम्रपान जितना खतरनाक उस व्यक्ति के लिए है जो इसे कर रहा है, उतना ही खतरनाक उसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी. सिगरेट का धुआं शरीर में कोशिकाओं को कमज़ोर कर देता है. इसके अलावा सिगरेट-बीड़ी में कई ऐसे जहरीले पदार्थ होते हैं जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं.
सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं: डॉ. विद्यार्थी ने बताया सम्पूर्ण  टीकाकरण उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है. टीकाकरण से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है, ताकि उनके रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो सके. इसलिए बच्चे के स्वस्थ्य जीवन के लिए टीकाकरण जरूर कराएं.
कोविड 19 के दौर में रखें इसका भी ख्याल:
• व्यक्तिगत स्वच्छता और 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाए रखें.
• बार-बार हाथ धोने की आदत डालें.
• साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
• छींकते और खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढंके.
• उपयोग किए गए टिशू को उपयोग के तुरंत बाद बंद डिब्बे में फेंके.
• घर से निकलते समय मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.
• बातचीत के दौरान फ्लू जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों से कम से कम 6 फीट की  दूरी बनाए रखें.
• आंख, नाक एवं मुंह को छूने से बचें.
• मास्क को बार-बार छूने से बचें एवं मास्क को मुँह से हटाकर चेहरे के ऊपर-नीचे न करें
• किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने या बात-चीत करने के दौरान यह जरूर सुनिश्चित करें कि दोनों मास्क पहने हों
• कहीं नयी जगह जाने पर सतहों या किसी चीज को छूने से परहेज करें
• बाहर से घर लौटने पर हाथों के साथ शरीर के खुले अंगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें