नई दिल्ली। महाराष्ट्र में दूध रोको आंदोलन हिंसक होता जा रहा है। कहीं आगजनी हो रही है तो कहीं बवाल हो रहा है। सड़क से लेकर सदन तक हंगामा हो रहा है और सड़कों पर दूध की नदियां बह रही है। आंदोलनकारियों की मांग है कि दूध पर प्रति लीटर पांच रुपए की सब्सिडी मिले, मक्खन और मिल्क पाउडर को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए। कुछ महीने पहले भी महाराष्ट्र के दूध किसानों ने ऐसा ही आंदोलन किया था। ऐसे ही सड़कों पर दूध की नदियां बहाई गई थी। तब सरकार ने किसानों से कहा था कि सड़कों पर दूध इस तरह से मत फेंकिये, सरकार हर बात सुनने को तैयार है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
किसानों को लगता है कि वो एक गंदी राजनीति का खिलौना बनकर रह गए हैं इसलिए इस बार जब तक मांगे पूरी नही होंगी झुकने को तैयार नहीं हैं। एक तरफ तो किसान सड़कों पर दूध फेंक रहे हैं और दूसरी ओर दूध रोको आंदोलन भी चला रहे हैं। मतलब सहकारी और सरकारी दूध भी घरों तक ना पहुंचे इसके लिए रास्ता रोककर बैठे हैं। किसान चाहते हैं कि गुजरात की तरह दूध पर प्रति लीटर पांच रुपए की सब्सिडी मिले और मक्खन और मिल्क पाउडर को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए। सरकार वादे के मुताबिक दूध की कीमत 17 से 27 रुपये कर दे।
किसानों के इस आंदोलन को एनसीपी भी सपोर्ट कर रही है। आंदोलन को सुप्रिया सुले खुलकर समर्थन कर रही हैं। सुप्रिया सुले आंदोलन तो चाहती हैं लेकिन वो ये नहीं चाहती कि सड़कों पर दूध की बर्बादी हो और गाड़ियों में आग लगाई जाए। हालांकि सुप्रिया सुले की बातों का असर एक भी शहर में नहीं हुआ। 24 घंटे में ही इस आंदोलन से सरकार की नींद उड़ गई है। फिलहाल सरकार कह रही है 15 दिनों तक दूध की कोई कमी नहीं होगी लेकिन जो तस्वीर सामने आ रही है वो कह रही है स्थिति बहुत बुरी है।