नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, देश ने खो दिया एक महान नेता

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नई दिल्ली –

 

पूर्व प्रधानमंत्री और बहुमुखी प्रतिभा के धनी अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है. आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में 5 बजकर 5 मीनट में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे 93 साल के थे. उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है. आपको बता दे की बीते दिन बुधवार से ही उनकी हालत नाजुक चल रही थी. उनकी हालत बेहद नाजुक होने की खबर चारों और फेलते ही देश के कई शहरों और गावों में पूजा पाठ और हवन कर उनके सेहत के लिए प्राथनाएं की जा रही थी. उन्हें एम्स में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर कल से ही रखा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक जताया और कहा की उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है.

 

 

कई वर्षो से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबियत लगातार खराब चल रही थी.बता दे कि 11 जून से ही यूरिन इंफेक्शन को लेकर उनका इलाज एम्स में  चल रहा था. कल से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा और अन्य दल के नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत की जानकारी लेने एम्स पहुंचे थे. आज गुरूवार के दिन भी प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेता अटल बिहारी वाजपेयी का हालचाल जानने एम्स पहुंचे थे. आज सुबह भी एम्स द्वारा हैल्थ बुलेटिन जारी कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के स्वास्थय की जानकारी दी थी जिसमें बताया गया था कि उनकी हालत बेहद ही नाजुक है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी केे निधन पर ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजली दी.

 

 

 

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एम्स में लगा था नेताओं का जमावड़ा

आज उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ,  भाजपा  के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण गृह मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा समेत भाजपा और अन्य दलों के नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत जानकारी लेने एम्स पहुंचे थे. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. वे साल 1996 में पहली बार प्रधानंत्री देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 दिन के अंदर में ही सरकार गिर गई. इसके बाद साल 1998 में वे फिर देश के प्रधानमंत्री बने और 2004 तक देश की प्रधानमंत्री रहे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का राजनीतिक जीवन बेहद ही शानदार रहा. वें एक बेहतरीन कवि, पत्रकार और प्रखर  प्रवक्ता थे. उनकी कविता की पूरी दुनिया दिवानी थी. उनकी कविताओँ को लोग खूब पसंद करते है. वे एक ऐसे नेता थे जिसे सभी पसंद करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की बात ही अलग थी. वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे.  सन् 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे थे.

 

शानदार रहा राजनीतिक जीवन

सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी. 1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की. 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया. अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए. लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1997 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली थी. 19 अप्रैल 1998 को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए। सन् 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (NDA) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और इण्डिया शाइनिंग का नारा दिया. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई. सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में 6-A कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे.

 

 

अटल बिहारी जी थे बेहतरीन कवि

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे. मेरी इक्यावन कविताए अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है. वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले थे. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे. वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे. पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है. उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी. इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर “एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक” की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया. वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता.

 

 

राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है. उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी. विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था. वहीं वाजपेयी सरकार के शासनकाल में ही देश परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बना. अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया

 

 

इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया. यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीकी से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी. यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊचाईयों को छुआ. आज देश ने अटल बिहारी के रूप में एक महान नेता को खो दिया है जिसकी भरपाई करना नामुमकिन है. देश हमेशा उन्हें एक महान नेता के रुप में याद रखेगा.