New delhi: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को संसद में गूंजा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बयान देने की मांग की।
आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा कि कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से बैंकों का कामकाज ठप्प पड़ गया है और आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देश भर में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। इनमें करीब 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं। ये खातेदार भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ‘‘गलत नीतियों और अंधाधुंध निजीकरण’’ के चलते आज यह स्थिति पैदा हुई है और उनक रोजी-रोटी पर भी संकट उत्पन्न हो गया है।
LIC का निजीकरण नहीं हो रहा
उधर, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का निजीकरण नहीं किया जा रहा है व बैंकों के संदर्भ में अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। जावड़ेकर ने शिवसेना सांसद अरविंद सावंत के प्रश्न के उत्तर में यह बात कही। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का हमेशा यह प्रयास होता है कि जिन सार्वजनिक उपक्रमों को फिर से खड़ा किया जा सकता है, उसे किया जाए।
LIC का निजीकरण क्यों नहीं हो रहा है ?
सावंत के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में सूचना एवं प्रसारण तथा भारी उद्योग मंत्री जावड़ेकर ने कहा, ‘‘एलआईसी का निजीकरण नहीं हो रहा है। यह गलतफहमी है। जहां तक बैंकों का सवाल है जो उस बारे में अफवाहों पर विश्वास नहीं करें।’’ इससे पहले, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में कहा था कि एलआईसी का आईपीओ लाने का प्रस्ताव है तथा इस कदम से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी तथा एलआईसी एवं निवेशकों दोनों को फायदा होगा।
बता दें कि नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है। ये नौ बैंक यूनियनें हैं…एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने पेश आम बजट में सरकार की विनिवेश योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।