अप्रैल फूल डे क्यों मनाया जाता हैं?

1 अप्रैल हंसी और ठहाके के इस दिन को सभी लोग बड़े ही उत्साह और मजे में मनाते हैं. दुनिया भर सें हर साल अप्रैल फुल 1 अप्रैल को मनाया जाता है. लोग इस दिन एक दूसरे को अगल-अलग अंदाज में मुर्ख बनाते है और अपने हंसी और ठहाके के इस दिन को खुब आनन्द लेते हैं.

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अप्रैल फुल 1 अप्रैल को मनाया जाता

New delhi: 1 अप्रैल हंसी और ठहाके के इस दिन को सभी लोग बड़े ही उत्साह और मजे में मनाते हैं. दुनिया भर सें हर साल अप्रैल फुल 1 अप्रैल को मनाया जाता है. लोग इस दिन एक दूसरे को अगल-अलग अंदाज में मुर्ख बनाते है और अपने हंसी और ठहाके के इस दिन को खुब आनन्द लेते हैं.

यूरोप में उत्साह के साथ मनाया जाता हैं

दिन को खासकर यूरोपीय देशों में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे के साथ मजाक, प्रेंक और खिंचाई करते हैं। एशियाई देशों में भी अप्रैल फूल मनाया जाता है लेकिन इसे मनाने की परंपरा यूरोप से शुरू हुई थी। लोग इस दिन अपने साथियों और दोस्तों के साथ हल्का मजाक, प्रैंक और बेवकूफ बनाने के खेल खेलते हैं। इस दिन मैसेज और तस्वीरों के माध्यम से दोस्तों और करीबियों को शुभकामनाएं भी देते हैं।

अप्रैल फूल मनाने का कारण

अप्रैल फूल मनाने की संचलन आख़िर कहा से उत्पन्न हुई तो आई जानते है अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत कहां से और कब से हुई जानते हैं फ्रांस में राजा के एक अजीबोगरीब फैसले से अप्रैल फूल मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। दअरसल साल 1582 में यूरोप के राजा पॉप ग्रेगरी 13 ने जनता को​ आदेश दिया कि यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलेगा। इससे बहुत बड़ा उल्टफेर हो गया। जनता ही नहीं राजा और प्रशासन के लिए भी नया साल पूरे तीन माह देर से आने लगा।

जापान और जर्मनी प्रैंक डे के रूप में मनाते है

वहां के लोगों को 1 जनवरी को ही नया साल मनाने की आदत थी और इसके चलते लोगो के बीच विरोध प्रदर्शन शुरु हुआ और जनता एक दूसरे के बीच ही राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। लोग एक दूसरे को राजा बताकर उसके साथ प्रैंक करते, और इससे ही अप्रैल फूल मनाने की परंपरा शुरू हो गई। जिसे कई लोगों ने मानने से इंकार कर दिया, लेकिन नया साल एक अप्रैल को मनाया जाने लगा। फ्रांस में अप्रैल फूल डे को फिश डे के नाम से मनाया जाता है। इस दिन बच्चे कागज की मछली बनाकर दूसरे बच्चों की पीठ पर चिपका कर उन्हें बेवकूफ बनाते हैं। जबकि जापान और जर्मनी के लोग इस दिन को प्रैंक डे के रूप में मनाते है।