विश्व स्तनपान सप्ताह: कुपोषण और संक्रामक बीमारियों से नवजात को सुरक्षित रखता है स्तनपान

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• 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की होती है संभावना
• शिशु जन्म के 1 घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात मृत्यु दर में 20% की लायी जा सकती है कमी
• सावधानी बरतकर संक्रमित माताएं भी करा सकती हैं शिशु को स्तनपान
बांका, 5 अगस्त: कोरोना आपदा के बीच नवजात शिशुओं के पोषण को ध्यान में रखते हुए 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाना है. स्तनपान का मुख्य उद्देश्य नवजात एवं शिशुओं में बेहतर पोषण को सुनिश्चित कराना है. साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति सुरक्षित करना है. ​स्तनपान सप्ताह के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अस्पतालों के स्टाफ नर्स, एएनएम, आरएमएनसीएच प्लस ए काउंसलर, ममता, चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी को प्रसूताओं व धात्री महिलाओं को नियमित स्तनपान के फायदों के बारे में बताने के लिए कहा है.
स्तनपान एवं संपूरक आहार देता है बेहतर स्वास्थ्य:
बाल स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. विजय प्रकाश राय ने बताया विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है. इस दौरान नवजात के लिए स्तनपान की जरूरत पर जागरूकता लाने का काम किया गया है. शिशु जन्म के 1 घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20% की कमी लायी जा सकती है. वहीँ 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की संभावना होती है. 6 माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए एवं 6 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए. साथ ही शिशु के बेहतर विकास के लिए कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए. संपूरक आहार से बच्चे का उपयुक्त शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है तथा बच्चा कुपोषणजनित कई तरह के बीमारियों से बचा रहता है. इसलिए यह जरुरी है कि कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सक के साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मी नवजात शिशुओं के स्तनपान एवं शिशुओं के संपूरक आहार की जरूरत के विषय में आम-जनता को जागरूक एवं जानकारी प्रदान करें.
1 घंटे के भीतर स्तनपान एवं 6 माह तक केवल स्तनपान जरुरी:
• शिशु जन्म के 1 घन्टे के भीतर स्तनपान कराना जरुरी होता है. माँ का दूध शिशु को कई तरह के संक्रमण से बचाव करता है
• माँ के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं
• स्वास्थ्य संस्था में या किसी स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा दूध की बोतलें, निप्पल या डमीज को बढ़ावा न दें
माँ में बुखार, खाँसी या सांस लेने में कोई तकलीफ़ जैसे लक्षण दिखने पर
• तुरंत चिकित्सक से सलाह लें
• बच्चे के संपर्क में आने पर मास्क पहनें. खांसते या छींकते समय मुँह को रुमाल या टिश्यू पेपर से ढकें
• छींकने या खांसने के बाद, दूध पिलाने से पहले एवं बाद हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं
• किसी भी तरह के सतह को छूने के बाद हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं या अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
माँ यदि स्तनपान नहीं करा सकती हैं तो ये करें:
• अपना दूध कटोरे में निकाल लें. इसके लिए मां अपने हाथों को 40 सेकेंड तक साबुन से धोंये या अल्कोहल आधारित सेनेटाइजर से हाथों को सेनेटाइज करें. जिस कटोरी में दूध निकालें उसे अच्छी तरह गर्म पानी एवं साबुन से धो लें.
• अपना निकला हुआ दूध पिलाने से पहले भी मास्क का इस्तेमाल करें. साथ ही चम्मच को भी अच्छी तरह साफ़ कर लें
यदि माँ कोविड 19 से संक्रमित है या उसकी संभावना है:
• कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्चे को 1 जन्म के पहले घंटे एवं 6 माह तक केवल माँ का ही दूध पिलायें
• शिशु की देखरेख एवं स्किन टू स्किन संपर्क के लिए घर की किसी स्वस्थ महिला का सहयोग लिया जा सकता है
शिशु के समग्र विकास के लिए जरूरी है स्तनपान  :
स्तनपान कराने से शिशु का समग्र शारीरिक ​और मानसिक विकास होता है. साथ ही बच्चों का आइक्यू लेवल उंचा रहता है. नवजात को मां का पहला गाढ़ा व पीला दूध अवश्य पिलायें. यह रोग प्रतिरोधक एंटीबॉडीज व प्रोटीन से भरपूर होता है व कई तरह के संक्रमण से रक्षा करता है. समुचित स्तनपान करने वाले बच्चों में मोटापा, उक्त रक्त चाप एवं डायबिटीज होने की संभावना भी कम होती है. यह मां के स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है.
6 महीने पूरे होने के बाद बच्चे को दें संपूरक आहार:
शिशु के 6 महीने पूरे होने के बाद उनके बेहतर मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्तनपान के साथ  संपूरक आहार की जरूरत होती है. 6 माह के बाद स्तनपान के साथ संपूरक आहार शिशुओं को देना चाहिए. साथ ही शिशु को 2 साल तक स्तनपान करवाना जारी रखना चाहिए. इसके लिए बच्चे को अलग से कटोरी में खाना खिलाना चाहिए. खाना बनाने, खिलाने या कहने से पहले 40 सेकंड तक पानी एवं साबुन से हाथ धोना जरुरी है. 6 महीने के बच्चे को 2-3 चम्मच खाना दिन में 2 से 3 बार. 6 से 9 महीने के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार. 9 से 12 महीने  के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार. 1 से 2 साल तक के बच्चे को 1 कटोरी खाना दिन में 3 से 4 बार देना जरुरी है.