अयोध्या के बाद सीतामढ़ी में सीताजी की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा

41
-कामेश्वर चौपाल बने अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
पटना-
रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में पटना में सिन्हा लाइब्रेरी रोड स्थित बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन में प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें माता सीताजी के प्राकट्य-स्थल सीतामढ़ी में माता सीताजी की 251 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा एवं भव्य मंदिर-निर्माण की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई। काउंसिल की ओर सीतामढ़ी में मंदिर के लिए गठित श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल को मनोनीत किया गया। इस अवसर पर सीतामढ़ी के सांसद तथा श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि पहली बार ऐसा होगा कि माता सीताजी केवल शब्दों में नहीं, बल्कि सही में श्रीभगवती के रूप में स्थापित होने जा रही हैं। सांसद श्री पिंटू ने कहा कि सीतामढ़ी में इसके लिए 30 एकड़ से अधिक भूमि का एग्रीमेंट का हो चुका है और रजिस्ट्री की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पहले फेज में 12 एकड़ 43 डिसमिल भूमि निबंधन-कार्य भी पूरा हो चुका है, वहीं शेष भूमि निबंधन के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर निबंधन-शुल्क माफ करने का आग्रह किया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया है, जिसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा।
वहीं, कामेश्वर चौपाल ने कहा कि जैसे अयोध्या में श्रीराम मंदिर को लेकर विश्व में जागृति का भाव आया है, उसी तरह माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में भी इस मंदिर-निर्माण को लेकर हरसंभव प्रचार-प्रसार करने का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि वह एक ही मंत्र को जानते हैं- जन-जन के मन में राम रमे, हर प्राण-प्राण में सीता है। उन्होंने कहा कि सीता भूमिजा हैं इसलिए यहां के हर एक इंसान को उन पर गर्व है, सीता सबकी हैं और सभी सीता के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि सीता स्वयं महालक्ष्मी हैं और उनके बिना कोई कार्य पूरा हो ही नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पूरे विश्वभर से माताओं और बहनों को इस अभियान से जोड़ने के लिए वह आज ‘सीता सीखा समिति’ के गठन की भी घोषणा कर रहे हैं और आह्वान कर रहे हैं कि जो भी माताएं व बहनें इस अभियान से जुड़ना चाहती हैं, वह आगे आएं।
काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्र ने कहा कि यह केवल विशाल प्रतिमा नहीं, बल्कि हमारी नारी समाज के आदर्श एवं प्रेरणा का प्रतीक होगा जो सदियों तक महिलाओं को माता सीताजी जीवन से सीखने को प्रोत्साहित करता रहेगा। काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि हम नलखेड़ा से शीघ्र ही ज्योत निकालेंगे जो भारत के हर राज्य की राजधानी से गुजरकर सीतामढ़ी में भूमि-पूजन के दिन सीतामढ़ी इस दिव्य स्थान तक पहुंचेगी।
ऐसी होगी प्रतिमा एवं मंदिर-परिसर
• माता सीताजी की 251 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण
• प्रतिमा के चारों ओर वृत्ताकार रूप से 108 ऐसी प्रतिमाओं का निर्माण होगा, जिससे माताजी के जीवन दर्शन का उललेख हो सके। प्रतिमाओं का दर्शन नौका विहार तरीके से विकसित किया जाएगा।
• इसके साथ ही शोध केंद्र, अध्ययन केंद्र, डिजिटल लाइब्रेरी जैसे कई कार्यों को प्रारंभ किया जाएगा।
• इस परिसर में रामायण के सभी प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं दिव्य रूप में स्थापित होगी, वहीं विभिन्न राज्यों में स्थापित प्रमुख देवी-देवताओं के लोकप्रिय प्रतिमाओं को उसी रूप में वहां स्थापित किया जाएगा।
भारत में पर्यटन का होगा विकासः
• सांस्कृतिक दूतावास भवन की स्थापनाः ऐसे देश जहां से अधिक पर्यटक भारत आते हैं, उन देशों के राजदूतों के लिए यह भवन होगा, जहां से वे राजदूत अपने देश के पर्यटकों से यहां आने का आह्वान करेंगे। इससे भारत के पर्यटन का विकास होगा।
इस तरह भगवती के स्थापित होंगी माता सीताजीः
• 51 शक्ति-पीठों, इंडोनेशिया, बाली, अशोक वाटिका से मिट्टी एवं जल लाकर तथा नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में माता बगलामुखी सिद्ध पीठ से ज्योत लाकर माता सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही भारत के विभिन्न राज्यों के प्रमुख मंदिरों से भी मिट्टी एवं जल लाकर माताजी के गर्भ-गृह को विकसित किया जाएगा।