-गर्भवती महिलाओं को कोई परेशानी हो तो उसे सदर अस्पताल लेकर आएं
-शहरी आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग के दूसरे दिए मास्टर ट्रेनर ने दिए टिप्स
भागलपुर, 3 सितंबर| आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित करें और अगर उन्हें कोई परेशानी आ रही हो तो उसका समाधान करें। परेशानी ज्यादा हो तो गर्भवती महिलाओं को सदर अस्पताल लेकर आएं और जरूरी जांच कराएं। उक्त बातें क्षेत्रीय प्रबंधन ईकाई की ओर से शहर के एक होटल में शहरी आशा कार्यकर्ताओं की छह दिवसीय ट्रेनिंग के दूसरे दिन शुक्रवार को मास्टर ट्रेनर ने कही। मास्टर ट्रेनर सीमा कुमारी, सुनील कुमार, राजेश कुमार ने आशा कार्यकर्ताओं को क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को चिह्नित करने के दौरान उन्हें होने वाली परेशानियों को दूर करने के तरीके भी बताए।
प्रसव की संभावित तिथि का पता कैसे लगाना है, इसकी जानकारी दी
मास्टर ट्रेनर ने ट्रेनिंग के दौरान आशा कार्य़कर्ताओं को प्रसव की संभावित तिथि का पता कैसे लगाना है, इसकी जानकारी दी। इससे परिजनों और गर्भवती महिलाओं को मानसिक रूप से तैयार होने में मदद मिलती है। साथ ही प्रसव से पहले क्या-क्या तैयारी करनी चाहिए, इसकी भी जानकारी दी गई। इस दौरान क्षेत्र में संस्थागत प्रसव पर जोर देने की सलाह आशा कार्यकर्ताओं को दी गई। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत लाभुकों को क्या-क्या फायदा मिलता है, इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए भी कहा गया। हर महीने की नौ तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच होती है। इससे क्या फायदा होता है, इसे लेकर गर्भवती महिलाओं को जागरूक करने के लिए कहा गया। साथ ही इन लोगों को क्या संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं, इसके बारे में भी आशा कार्यकर्ताओं को जानकारी दी गई।
गर्भसमापन को है कानूनी मान्यताः
मास्टर ट्रेनरों ने आशा कार्यकर्ताओं को बताया कि समाज में गर्भसमापन को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। बहुत लोगों को यह जानकारी नहीं है कि भारत में गर्भसमापन को कानूनी मान्यता मिली हुई है। इसे लेकर 1971 के एमपीटी एक्ट के बारे में भी आशा को बताया गया। आशा कार्यकर्ताओं से कहा गया कि तीन महीने तक की गर्भवती महिलाओं का गर्भसमापन स्थानीय सरकारी अस्पताल में आसानी से हो सकता है। अगर गर्भ दूसरी तिमाही में चला गया है तो वैसी महिलाओं को सदर अस्पताल या फिर मायागंज अस्पताल लेकर जाएं। वहां पर विशेषज्ञों द्वारा आसानी से गर्भसमापन कराया जाएगा। अभी कोरोना काल में बहुत सारी महिलाएं अनचाहे तरीके से गर्भवती हो गई हैं। वे गर्भसमापन करवाना चाहती हैं, लेकिन कानूनी जानकारी नहीं होने और आवागमन की सुविधा कम होने के कारण ऐसा नहीं कर पा रही हैं। ऐसी गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर उन्हें गर्भसमापन में मदद करें।
इससे पहले गुरुवार को छह दिवसीय ट्रेनिंग सत्र का उद्घाटन किया गया। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी, क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ. सुरेश प्रसाद सिन्हा, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक अरुण प्रकाश और क्षेत्रीय आशा समन्वयक कुणाल कुमार मौजूद थे। उद्घाटन के बाद जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने टीकाकरण की बारीकियों से आशा कार्य़कर्ताओं को अवगत कराया। साथ ही कोरोना टीकाकरण में आशा कार्यकर्ताओं की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी दी। डॉ. सुरेश प्रसाद सिन्हा ने आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका, कौशल और क्षेत्र में कैसे विजिट करना है, इसके बारे में बताया। इसके अलावा छह दिन तक चलने वाली ट्रेनिंग का एजेंडा बताया गया, जिसमें किस दिन क्या होगा, इसकी जानकारी दी गई।