-सदर अस्पताल में टीबी विभाग और केजीपीटी के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित
-खुद के साथ सहकर्मियों और परिवार के लोगों को भी टीबी से बचाने की लोगों ने ली शपथ
भागलपुर, 20 अगस्त-
जनआंदोलन थीम के तहत अभी जिलेभर में टीबी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चल रहा है। इसी कड़ी में सदर अस्पताल में टीबी को दूर भगाने के लिए लोगों को जागरूक करने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का आयोजन कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) और टीबी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम में सीडीओ डॉ. दीनानाथ और केएचपीटी की आरती झा समेत विभाग के सभी लोग शामिल हुए। इस दौरान सभी लोगों ने टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने की शपथ ली। समाज से टीबी को खत्म करने के लिए लोगों को खांसने के सही तरीके का पालन कराने की शपथ ली गई। साथ ही देश और समाज से टीबी को खत्म करने के लिए घर-घर जाकर जाकरूकता अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। खुद के साथ सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों को टीबी से बचाने की लोगों ने शपथ ली।
लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं-
मौके पर सीडीओ डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। टीबी का अगर आप इलाज नहीं कराते हैं तो एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः
दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः
टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।