– राज्यभर के छह मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में संचालित है नोडल एमडीआर टीबी सेंटर
– जिला स्तर पर सीबीनेट जैसी मशीन से निः शुल्क होती है टीबी मरीजों की जांच
मुंगेर, 13 अप्रैल-
टीबी की दवा का नियमित सेवन नहीं करने से टीबी मरीज हो सकते हैं मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी से संक्रमित । उक्त आशय की जानकारी जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉर ध्रुव कुमार शाह ने दी। उन्होंने बताया कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। सरकारी अस्पतालों में टीबी का सम्पूर्ण और निः शुल्क इलाज संभव है। जिला मुख्यालय सहित जिला भर के सभी सरकारी अस्पतालों और डॉट्स केंद्रों पर टीबी जांच और उपचार की सम्पूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है। इसके अलावा टीबी मरीजों के सही पोषण के लिए भी सरकार के द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इसके लिए टीबी मरीजों का रजिस्ट्रेशन/नोटिफिकेशन निक्षय पोर्टल पर होना अनिवार्य है। बावजूद इसके सबसे अधिक आवश्यक है कि टीबी मरीजों के द्वारा टीबी की दवा की सम्पूर्ण डोज पूरी की जाय। टीबी मरीजों के द्वारा दवा लेने में अनियमितता बरतने पर उस मरीज के मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी से संक्रमित होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इसके अलावा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दुकानों से टीबी की दवा लेने और दवा खाने से पहले ड्रग सेंसेटिव जांच नहीं कराने से भी मरीजों के एमडीआर टीबी से संक्रमित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
राज्य भर के छह मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में संचालित है नोडल एमडीआर टीबी सेंटर :
जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर में जिला टीबी/एचआईवी समन्वयक शैलेंदु कुमार ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत छह मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में नोडल एमडीआर टीबी सेंटर कार्यरत है। जहां मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के मरीजों के निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है। ये मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल हैं –
1. पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना
2. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, भागलपुर
3. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना
4. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, मुजफ्फरपुर
5. दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, दरभंगा
6. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, गया ।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम का मूल उद्देश्य टीबी के मामलों में 2025 तक 2015 की तुलना में 80% तक कमी लाना है। इसके अलावा टीबी से होने वाली मृत्यु के मामलों में 2025 तक 90% तक कमी लाना मुख्य उद्देश्य है। इसके साथ – साथ किसी भी परिवार को टीबी बीमारी के कारण अत्यधिक बोझ का सामना नहीं करना पड़े यह भी राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम 2025 के प्रमुख उद्देश्य में शामिल है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों के साथ – साथ आम लोगों का भी महत्वपूर्ण सहयोग आवश्यक है।