-चंपानगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अंतरा कैंप आयोजित
-कैंप में शामिल लोगों को परिवार नियोजन की दी गई जानकारी
भागलपुर-
दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी है. इससे जच्चा और बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहता है. बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे कि वह भविष्य में होने वाली बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है. दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रखने के लिए दंपति अस्थाई संसाधनों का सहारा लें. इसमें अंतरा सुई सहायक साबित हो सकती है. एक बार अंतरा की सुई ले लेने से 3 महीने तक आप निश्चिंत हो जाएंगे. यह बातें डॉ शमीम आलम ने शुक्रवार को चंपानगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित अंतरा कैंप के दौरान कही. इस दौरान मौके पर आई महिला एवं अन्य लोगों के साथ चिकित्सक ने परिवार नियोजन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. लोगों को परिवार नियोजन के फायदे गिनाए गए.
15 से अधिक लाभुकों को दी गई अंतरा सुई:
चंपानगर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अंतरा कैंप के दौरान एएनएम सुमन कुमारी ने 15 से अधिक लाभुकों को अंतरा की सुई लगाई. इस दौरान केयर इंडिया के शिवम कुमार भी मौजूद रहे. लाभुकों का सर्वे आशा कार्यकर्ता द्वारा 10 जनवरी तक किया गया था.
जिले में जोर-शोर से चल रहा है संचार अभियान: केयर इंडिया के आलोक कुमार ने बताया कि जिले में परिवार नियोजन को लेकर संचार अभियान चल रहा है. 31 मार्च तक चलने वाले इस अभियान के तहत जिलेभर में परिवार नियोजन को लेकर प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है. गांव में मीटिंग कराई जा रही है तो जगह-जगह पर जागरूकता रैली निकाली जा रही है. इसके जरिए लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी दी जा रही है. साथ में इसके फायदे भी बताए जा रहे हैं.
एक बच्चे वाले दंपति की हो रही काउंसिलिंग: केयर इंडिया के आलोक कुमार ने बताया कि अभियान के तहत हर बुधवार और शुक्रवार को आरोग्य दिवस पर एक बच्चे वाले दंपति की काउंसिलिंग की जाती है. आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित काउंसिलिंग में एएनएम दंपति को दूसरे बच्चे के लिए 3 साल इंतजार करने के लिए कहती हैं और इससे होने वाले फायदे के बारे में बताती हैं.
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन,-
– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।