– टीबी मरीजों को फूड बास्केट में पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ करवाएं उपलब्ध
– टीबी मरीजों की पहचान, जांच और सही उपचार के साथ सही पोषण उपलब्ध करवाने पर करें फोकस
मुंगेर, 01 मार्च-
प्रखंडों में कार्यरत पीएचसी/सीएचसी स्तर पर फूड बास्केट उपलब्ध करवाएं टीबी मरीजों को गोद लेने वाली संस्थाएं । उक्त बात मंगलवार को संग्रहालय सभागार में आयोजित जिला टीबी फोरम मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी नवीन कुमार ने कही। उन्होंने बताया कि जिला यक्ष्मा केंद्र पर टीबी मरीजों को गोद लेने वाली संस्थाओं के द्वारा फूड बास्केट उपलब्ध करवाने के बाद वहां फूड बास्केट लेने के लिए टीबी मरीजों की अनावश्यक भीड़ जुटेगी और उन्हें फूड बास्केट उपलब्ध करवाने में जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत स्वास्थ्य अधिकारियों को अनावश्यक समय बर्बाद होगा। इसकी वजह से टीबी मरीजों की जांच और उपचार प्रभावित होगी। प्रखंड स्तर पर फूड बास्केट उपलब्ध करवाने के बाद टीबी मरीजों के बीच आसानी से उसका वितरण संभव हो पाएगा। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को गोद लेने वाली संस्थाएं अपने फूड बास्केट में आटा – चावल की जगह अन्य पौष्टिक तत्वों से युक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाएं । क्योंकि सरकार की अन्य योजनाओं से लोगों के बीच गेहूं और चावल उपलब्ध करवाया जा रहा है। मालूम हो कि डिस्ट्रिक्ट टीबी फोरम में जिलाधिकारी चेयरमैन, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी को – चेयरमैन, डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर मेंबर सेक्रेटरी सहित कई सदस्य होते हैं, जिसमें पत्रकार, अधिवक्ता, कॉरपोरेट सेक्टर के प्रतिनिधि, पांच टीबी मरीज, पीआरआई मेंबर सहित कई लोग शामिल हैं। यह फोरम टीबी मरीजों के लिए समुदाय की सामूहिक सहभागिता के लक्ष्य को लेकर कार्य करता है।
नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम अन्य छह नेशनल हेल्थ प्रोग्राम से है जुड़ा हुआ :
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार शाह ने बताया कि नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) छह अन्य नेशनल हेल्थ प्रोग्राम से जुड़ा हुआ है ।
1. नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (एनएसीपी)
2. न्यूट्रीशनल रिहेबिलिटेशन सेंटर्स (एनआरसी )
3. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके )
4. आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स
5. नेशनल टोबेको कंट्रोल प्रोग्राम (एनटीसीपी )
6. नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल of कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवास्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक।
टीबी एक सामाजिक समस्या, इसके लिए समुदाय आधारित एप्रोच की आवश्यकता :
उन्होंने बताया कि टीबी एक सामाजिक समस्या है जो सात स्टेप्स पर सर्कुलर से बना है।
1. पुअर हाउसिंग 2. इंडोर एयर पॉल्यूशन 3. ट्राइबल पॉपुलेशन 4. माइग्रेशन 5. डायबिटीज 6. एचआईवी इन्फेक्शन 7. ओवर क्राउडिंग ।
जिला यक्ष्मा केंद्र में कार्यरत जिला टीबी/ एचआईवी कोऑर्डिनेटर शैलेंदू कुमार ने बताया कि जनवरी से दिसंबर 2022 तक आंकड़ों के अनुसार मुंगेर जिला में निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 99.9% टीबी नोटिफिकेशन हुआ है। जिला का ट्रीटमेंट सक्सेस रेट 90.4% है। जिला में 29% मरीजों का माइक्रोबायोलोजिकल कन्फर्मेशन मिला है। जिला का एचआईवी स्टेटस 96% है। निक्षय पोषण योजना के तहत डायरेक्ट बेनिफिशरी ट्रांसफर (डीबीटी) का आंकड़ा 70% और जिला में प्रिज्मस्टिव एग्जामिनिशन रेट (1500/ लाख/वर्ष ) 144 है।
उन्होंने बताया कि जिला भर में सिर्फ एक जगह डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर मुंगेर में सीबी नेट मशीन से कुल 954 टेस्ट किए गए जिसमें से 291 केस पॉजिटिव पाया गया। वहीं जिला भर के चार स्थानों,डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर मुंगेर में ट्रुनेट मशीन से किए गए कुल 1697 में से 336, सब डिविजनल हॉस्पिटल तारापुर में ट्रूनेट मशीन से किए गए कुल 1562 में से 207, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हवेली खड़गपुर में ट्रूनेट मशीन से किए गए कुल 336 में से 49 और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संग्रामपुर में ट्रूनेट मशीन से किए गए कुल 46 में से 7 टीबी पॉजिटिव केस मिले हैं। इसके अलावा जिला के सभी नौ प्रखंडों में कार्यरत डीएमसी साइट पर किए गए कुल 6724 में से 502 टीबी पॉजिटिव केस पाए गए हैं।