बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों से रहें सतर्क और सावधान 

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– टायफाइड समेत अन्य बीमारियों से बचाव के लिए रहें सतर्क, अनावश्यक परेशानियाँ से रहेंगे दूर
– लगातार बुखार रहने पर निश्चित रूप से कराएं खून की जाँच और चिकित्सा परामर्श का पालन
खगड़िया, 02 जुलाई-
आग उगलती धूप और भीषण गर्मी के साथ तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण मौसमी बीमारियों की भी संभावना बढ़ गई। ऐसे में हर आयु वर्ग के लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। दरअसल, ऐसे मौसम में कई तरह की बीमारियों के चपेट में आने का खतरा बढ़ गया है। इस मौसम में डायरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, कोविड समेत अन्य मौसमी और संक्रामक बीमारी के साथ  टायफाइड का खतरा भी  है।  ऐसे मौसम में हर आयु वर्ग के लोगों को टायफाइड से बचाव के लिए विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।
– टायफाइड से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल और भोजन का करें सेवन :
खगड़िया सदर अस्पताल के उपाधीक्षक  डाॅ योगेन्द्र सिंह प्रायसी ने बताया, टायफाइड होने के  वैसे तो सामान्यतः कई कारण हैं । किन्तु, मुख्य रूप से गंदा (दूषित) पानी और भोजन के  सेवन से होता है। इसलिए, इस बीमारी से बचाव के लिए सभी लोगों को शुद्ध पेयजल  और भोजन का सेवन करना चाहिए।  साफ-सफाई का भी ख्याल रखना जरूरी है। इसलिए, गर्मी और बरसात के मौसम में पानी व भोजन का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। ऐसे मौसम में टायफाइड यानी मियादी बुखार के मरीज अधिक मिलते हैं। टायफाइड सालमोनेला टाइपी नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला एक गंभीर रोग है। यह बैक्टीरिया दूषित पानी एवं संक्रमित भोजन में पनपते हैं। गंदे परिवेश वाली जगहों पर टायफाइड फैलने की संभावना अधिक होती है।
– टायफाइड के कारण लिवर  हो सकता है प्रभावित :
दूषित पानी व संक्रमित भोजन के सेवन से व्यक्ति मियादी बुखार से ग्रसित हो जाता है। टायफाइड के कारण लिवर में सूजन हो जाती है। ऐसे में साफ पानी और भोजन का ध्यान रखना जरूरी है। सब्जियों का सही से नहीं धोना, शौचालय का इस्तेमाल नहीं होना और खुले में मलमूत्र त्याग करना, खाने से पहले हाथों को नहीं धोना, आदि कई कारणों से टायफाइड हो सकता है। तेज बुखार के साथ दस्त व उल्टी होना, बदन दर्द रहना, कमजोरी और भूख नहीं लगना टाइफाइड के प्रमुख लक्षण हैं। इसके साथ ही पेट, सिर और मांसपेशियों में भी दर्द रहता है।
– पाचन तंत्र को बुरी तरह से करता है प्रभावित :
टायफाइड पाचन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है। खून की जांच कर इसका पता लगाया जाता है। बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में बुखार के लंबे समय तक रहने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए। टायफाइड होने पर मरीज को पूरी तरह आराम करना चाहिए। उन्हें ऐसे भोजन दिये जाने चाहिए जो आसानी से पचाया जा सके। पीने के लिए उबाले हुए पानी को ठंडा कर दें। रोगी को मांस-मछली का सेवन नहीं करने दें। अधिक से अधिक तरल पदार्थ लेना बेहतर है। भोजन में हरी सब्जियां, दूध और पाचन तंत्र को बेहतर बनाये रखने वाले भोजन लें। ताजे मौसमी फल का सेवन करें।
– बार-बार टायफाइड होना गंभीर बात :
चाय कॉफी तथा अन्य कैफिन युक्त पदार्थ, रिफाइंड और प्रोसेस्ड फूड और अधिक तेल मसाले वाले भोजन से दूरी बनायें। इसके अलावा घी, तेल, गरम मसाला व अचार तथा गर्म तासीर वाले भोजन से परहेज करें। सही तरीके से इलाज नहीं होने और अधिक समय तक टायफाइड रहने से व्यक्ति काफी कमजोर हो जाता है। बार-बार टायफाइड का होना गंभीर है। इसलिए, जिसे पहले कभी टायफाइड हुआ है, वह खास तौर पर सतर्क रहें।