-टीबी हारेगा, देश जीतेगा अभियान के तहत टीबी मरीजों की हो रही खोज
-24 फरवरी से 24 मार्च तक टीबी उन्मूलन को लेकर चलाया जा रहा अभियान
बांका, 1 मार्च
2025 तक जिले को टीबी से मुक्त कराने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसी सिलसिले में अभी टीबी मरीजों की खोज को लेकर अभियान चल रहा है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी मरीजों की खोज कर रही हैं। इसे लेकर आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रशिक्षण में उन्हें टीबी के लक्षण और बचाव की जानकारी दी गई है। इसके बाद वह क्षेत्र में टीबी मरीजों को ढूंढने का काम कर रही हैं।
जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि टीबी को लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। अभी एक महीने तक इस पर विशेष तौर पर फोकस किया गया है। इसमें आशा कार्यकर्ता टीबी मरीजों को ढूंढ रही हैं। क्षेत्र में भ्रमण के दौरान जिस किसी में टीबी का लक्षण दिखाई पड़ता है, उसे आशा कार्यकर्ता नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए ले जाती हैं। टीबी मरीजों का न सिर्फ निःशुल्क इलाज कराया जाता है, बल्कि उसे 500 रुपये प्रतिमाह पौष्टिक भोजन लेने के लिए राशि भी मिलती है। इसके साथ-साथ दवा भी मुफ्त में मिलती है। वहीं आशा कार्यकर्ताओं को एक टीबी मरीज ढूंढने पर 500 रुपये भी दिया जाता है। सिर्फ आशा ही नहीं, बल्कि कोई भी व्यक्ति अगर टीबी मरीज की सूचना देते हैं और जांच में टीबी मरीज की पुष्टि हो जाती है तो उन्हें 500 रुपये इनाम के तौर पर दिया जाता है। राजदेव राय ने कहा कि दो सप्ताह या ज्यादा दिनों तक खांसी, बुखार या शाम के वक्त शरीर गर्म होना, वजन में कमी, रात में पसीना आना, भूख न लगना, छाती में दर्द, बलगम में खून आना और कमजोरी और थकान हो तो तत्काल टीबी की जांच कराएं।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि अगर टीबी का हल्का सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको मुफ्त में दवा मिलेगी। साथ में भोजन के लिए भी पैसे मिलेंगे। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी बहुत ही जरूरी है। अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त कराया जाएगा। इसे लेकर विभाग प्रतिबद्ध है।
एक टीबी मरीज कई लोगों को कर सकता है संक्रमित: डॉ. सिन्हा ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। इलाज नहीं कराने पर कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। एक टीबी मरीज के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं।
छुआछूत की बीमारी नहीं रही टीबी: डॉ. सिन्हा ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीवी समाप्त हो जाएगा।