-सावन में प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों के पास धर्मगुरुओं से कराई जाएगी अपील
-केएचपीटी ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर इस मुद्दे पर बनाई रणनीति
भागलपुर, 12 जुलाई-
2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसे लेकर लगातार अभियान चल रहा है। जिले में अब इस सिलसिले में एक नई पहल होने जा रही है। कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएसपीटी) स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर टीबी मरीजों की खोज के लिए धर्मगुरुओं का सहारा लेने जा रहा है। इसे लेकर मंगलवार को डीआरयू में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि 14 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है। इस महीने में शिवालयों में पूजा-अर्चना के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर केएचपीटी ने जिले के प्रमुख शिवालयों और धार्मिक स्थलों की एक सूची बनाई है। उन जगहों पर जाकर स्थानीय धर्मगुरु, जिनकी समाज पर अच्छी पकड़ हो उनसे टीबी को लेकर अपील करवाई जाएगी। उनके जरिये लोगों से टीबी के बचाव को लेकर सतर्कता बरतने की अपील करवाई जाएगी। धर्मगुरु टीबी के लक्षण और सरकारी अस्पतालों में इसके मुफ्त जांच, इलाज औऱ दवा के साथ टीबी मरीजों को मिलने वाली सहायता राशि के बारे में लोगों को जानकारी देंगे। चूकि धर्मगुरुओं की समाज पर बेहतर पकड़ होती है, इसलिए इस अभियान से व्यापक तौर पर मदद मिलने की उम्मीद है, जिससे बड़ी संख्या में टीबी के नए मरीज मिलने का अनुमान है। टीबी के मरीज अगर मिल जाएंगे तो वह दवा लेने के बाद स्वस्थ भी होंगे। इससे 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
टीबी से मुक्त होने में एक कदम आगे बढ़ेगा जिलाः केएचपीटी की जिला टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि हमलोग जिले में टीबी को लेकर लगातार अभियान चला रहे हैं। पिछले एक साल में अभियान के तहत काफी नए मरीज मिले हैं और ठीक भी हुए हैं। इसके अलावा टीबी मरीजों की आर्थिक से लेकर सामाजिक और मानसिक मदद भी हमलोगों ने की है। धर्मगुरुओं के जरिये टीबी मरीजों की खोज और इलाज को लेकर नई पहल करने जा रहे हैं। उम्मीद है कि इसमें हमलोगों को सफलता मिलेगी और जिला टीबी से मुक्त होने में एक कदम और आगे बढ़ेगा।
जांच से लेकर दवा तक की मुफ्त व्यवस्थाः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ कहते हैं कि केएचपीटी की यह पहल सराहनीय है। स्वास्थ्य विभाग टीबी मरीजों को तेजी से स्वस्थ होने में लगातार प्रयासरत है। जागरूकता अभियान से लेकर स्क्रीनिंग का काम जिले में चलता ही रहता है। अब धर्मगुरुओं की मदद लेने से टीबी के खिलाफ अभियान तेज होगा। उन्होंने कहा कि टीबी के लक्षणों और इसके बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ती जा रही है। लोगों में अब यह समझ पैदा हो रही है कि लागातार दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी होना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना और शाम के वक्त पसीना आना और बुखार होना, ये सब टीबी के लक्षण हैं। अगर किन्ही में ये लक्षण दिखाई दे तो तत्काल सरकारी अस्पताल में आकर जांच करवाएं। यहां पर टीबी की जांच, इलाज से लेकर दवा तक की मुफ्त व्यवस्था है। साथ ही जब तक इलाज चलेगा, तब तक सहायता राशि भी दी जाएगी।