बांका जिले में कुष्ठ निवारण अभियान को किया जाएगा तेज

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-आज से दो दिनों तक जिले के 30 चिकित्सा पदाधिकारियों का किया जाएगा उन्मुखीकरण
-सोमवार और मंगलवार को जिले के 30 स्वास्थ्यकर्मियों का किया जा चुका है उन्मुखीकरण

बांका-

जिले को कुष्ठ से मुक्त करने के लिए गुरुवार और शुक्रवार को अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी कार्यालय के मीटिंग हाल में 30 चिकित्सा पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण किया जाएगा। उन्मुखीकरण के बाद ये चिकित्सा पदाधिकारी जिले में कुष्ठ निवारण में सहयोग करेंगे। जिले के सरकारी अस्पतालों में जो भी कुष्ठ के मरीज आएंगे, उन्हें मदद करेंगे। ये लोग सदर अस्पताल से लेकर रेफरल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में कुष्ठ निवारण में सहयोग करेंगे। इससे पहले सोमवार और मंगलवार को भी जिले के 30 स्वास्थ्यकर्मियों का उन्मुखीकरण किया गया। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ एएनएम और फामार्सिस्ट भी शामिल थे। इनलोगों को भी कुष्ठ के बारे में जानकारी दी गई। ये लोग भी जिले के सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ निवारण में अपना योगदान देंगे। उन्मुखीकरण में प्रशिक्षक के रूप में जिला पर्यवेक्षक, कुष्ठ कार्यक्रम मृत्युंजय कुमार सिंह, अचिकित्सा सहायक हरेकान्त झा और फिजियोथेरेपिस्ट स़ंजीत कुमार शामिल थे।
दो तरह के होते हैं कुष्ठः कुष्ठ कार्यक्रम के जिला पर्यवेक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि आमतौर पर कुष्ठ के मरीजों की दो तरह से पहचान की जाती है। इसमें एक पीबी कटेगरी होता है और दूसरा एमबी कटेगरी। पीबी कटेगरी में वैसे मरीज आते , जिनमें कुष्ठ के कम लक्षण होते हैं। वहीं एमबी कटेगरी में वैसे मरीज आते , जिनमें कुष्ठ के अधिक लक्षण पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिले में कुष्ठ निवारण अभियान को तेज किया जाएगा। इसी मकसद से सोमवार और मंगलवार को स्वास्थ्यकर्मियों का उन्मुखीकरण किया गया और गुरुवार और शुक्रवार को चिकित्सा पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण किया जाएगा। यहां पर इनलोगों को जो जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दी गई है औऱ दी जाएगी, इसका लाभ जिले के सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को देंगे। इससे जिला जल्द से जल्द कुष्ठ से मुक्त हो जाएगा।
जिले के सरकारी अस्पतालों में कुष्ठ के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल और अनुमंडल अस्पताल के साथ सदर अस्पताल व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुष्ठ रोगियों के इलाज की व्यवस्था है। इलाज में मरीज को किसी भी तरह का खर्च नहीं आता है। साथ ही इलाज के दौरान उन्हें जो आर्थिक नुकसान होता है, उसकी भरपाई के लिए आठ हजार रुपये सहायता राशि भी दी जाती है। मृत्युंजय सिंह ने बताया कि पुनर्शल्य चिकित्सा में जाने वाले मरीजों को वेज लास के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर आठ हजार रुपये का भुगतान किया जाता है। ग्रेड 2 के प्रभावित कुष्ठ मरीजों को 1500 रुपये मासिक पेंशन और उनके आश्रित जिनकी उम्र शून्य से 18 वर्ष के हों को परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये मासिक भुगतान बाल संरक्षण ईकाई के माध्यम से दिया जाता है। अभी जिले में 251 बच्चों को परवरिश योजना का लाभ दिया जा रहा है।