मधुमेह पीड़ित गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क और सावधान रहना बेहद जरूरी 

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– गर्भावस्था के दौरान उचित प्रबंधन से सामान्य और सुरक्षित प्रसव को मिलेगा बढ़ावा
– स्वास्थ्य के प्रति नहीं करें लापरवाही, रहें सावधान और सतर्क
लखीसराय-
जिस तरह लोगों की जीवनशैली में बदलाव और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बढ़ रही है, उसी तरह स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी भी आम हो रही । मधुमेह भी एक एक ऐसी परेशानी है, जो बदलते जीवनशैली और परिवेश के कारण आम हो गई है। जिससे किसी भी आयु वर्ग के  लोग पीड़ित हो सकते हैं। जिसका प्रमाण यह है कि दिनों-दिन लगातार ऐसे पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही  और अस्पतालों में इलाज कराने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में हर व्यक्ति को इससे बचाव के लिए सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर मधुमेह से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को तो और सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान ऐसी पीड़ित महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने से ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव संभव है। इसको लेकर सरकार द्वारा भी हर जरूरी प्रयास किया जा रहा  और स्थानीय स्तर पर भी समुचित जाँच और उचित प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसलिए, ऐसे पीड़ित गर्भवती को गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में जाँच जरूर करानी  चाहिए।
– गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित गर्भवती को समय-समय पर जाँच कराना बेहद जरूरी :
लखीसराय सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ धीरेन्द्र कुमार  ने बताया, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से पीड़ित महिलाओं का समय-समय पर जाँच और आवश्यक उपचार जरूरी है। अन्यथा थोड़ी-सी लापरवाही से बड़ी परेशानी हो सकती है। दरअसल, मधुमेह के प्रति लापरवाही करने से ना केवल गर्भवती को ही अनावश्यक परेशानियाँ का सामना पड़ सकता
बल्कि, गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए, सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की जाँच जरूर करानी  चाहिए। ताकि समय पर परेशानी का पता चल सके और ससमय ही जरूरी इलाज  सुनिश्चित हो सके। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रत्येक महीने के 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत  गर्भवती महिलाओं के लिए मधुमेह एवं  सभी तरह के  जाँच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध रहती है।
– गर्भपात की  भी रहती है संभावना :
यदि समय से उपचार नहीं हो पता  तब आगे चलकर प्रसूता एवं गर्भस्थ शिशु  में विभिन्न जटिलताएं हो सकती है । साथ हीं  जच्चा-बच्चा टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हो सकते हैं। इससे गर्भवती में इन्फेक्शन, प्रसव अवधि में बढ़ोतरी, जटिलतापूर्ण प्रसव, सिजेरियन प्रसव, प्रसव के बाद गर्भाशय का सिकुड़ नहीं पाना एवं प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव  जैसी तमाम जटिल समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। जिससे प्रसूता की जान पर भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। गर्भावस्था जनित मधुमेह से गर्भस्थ शिशु को भी समस्या हो सकती है। इससे गर्भस्थ शिशु की मृत्यु, मृत शिशु का जन्म, बर्थ डिफेक्ट, बर्थ इन्जरी एवं नवजात शिशु में ग्लूकोज की कमी के साथ पहले तीन महीने में अचानक गर्भपात की संभावना भी हो सकती है।
– गर्भवस्था में मधुमेह का उपचार :
इसके उपचार के लिए सरकार द्वारा तीन व्यवस्थाएं की गयी हैं । पहला भोजन एवं पोषण संबंधित, दूसरा दवाई द्वारा एवं तीसरा इन्सुलिन इंजेक्शन के द्वारा। गर्भावस्था में मधुमेह से पीड़ित महिला को पोषण संबंधी जानकारी दी जानी अति आवश्यक है। जिससे वह समझ सके  कि  गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए पोषण युक्त आहार क्या है। उपयुक्त वजन में बढ़ोत्तरी कितनी होनी चाहिए एवं खून में सामान्य ग्लूकोज स्तर को प्राप्त करने एवं बनाये रखने के लिए कितना और कौन सा भोजन लेना है। जिन मधुमेह पॉजिटिव महिलाओं का मधुमेह पोषण संबंधित उपचार से नियंत्रित नहीं होता है, उन्हें दवा दी जाती। साथ ही जब दवा सेवन के बाद भी मधुमेह अनियंत्रित होता है तब चिकित्सक द्वारा इंजेक्शन द्वारा इन्सुलिन की  डोज दी  जाती  है।