टीबी एक संक्रमण है,लाइलाज नहीं बस इलाज है जरूरी: डॉ.श्रीनिवास

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-बीमारी को छुपायें नहीं,जाँच हेतु तय करें दूरी सरकारी संस्थान की
-जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान में उपलब्ध है निः शुल्क सुविधा

लखीसराय-

टीबी एक संक्रमण वाली बीमारी है जिसका जीवाणु हवा के माध्यम से फैलता । जब किसी इंसान में टीबी के जीवाणु होते हैं तो जब वह छींकता ,खांसता ,या बोलता है तो इसका जीवाणु हवा में फ़ैल जाता है। जो दूसरे इंसान को संक्रमित कर देता है । इसके लिए जरूरी है समय पर इलाज कराएं। जिससे संक्रमित अपने साथ और लोगों को इस संक्रमण से सुरक्षित रख सकता है। ये जानकारी दी है जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ .श्रीनिवाश शर्मा ने।
.डॉ शर्मा बताते हैं कि हमारे समाज में अभी भी लोग टीबी की बीमारी को छुपाते हैं। कई बार ये भी देखने को मिलता है कि जो इस बीमारी से ग्रसित होते हैं मगर वो गाँव वाले डॉक्टर साहब की बात को मानकर इस बीमारी को बस, कमजोरी समझकर अपना इलाज करवाने लगते हैं। ग्रामीण डॉक्टर साहब भी सही बीमारी को छोड़कर दूसरी बीमारी का इलाज करने लगते हैं। जिसका नतीजा होता है कि वो इंसान दिनों -दिन कमजोर होता जाता है एवं लाचार हो जाता है ।इसका दुष्परिणाम भी कई बार मौत के रूप में देखने को मिलता है । इसलिए जरूरी है कि लोग घर से बाहर आकर नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान तक आयें एवं जाँच के साथ अपना उचित निः शुल्क इलाज करवाकर अपनी जिन्दगी को नया आयाम दें ।
क्षेत्रों में लगे टीबी जाँच कैंप :
लखीसराय नगर परिषद के उपसभापति शिवशंकर राम ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग अगर हमारे शेत्र में टीबी जागरूकता एवं जाँच हेतु शिविर लगाये तो जो लोग किसी कारण से सरकारी अस्पताल तक जाँच करवाने नहीं जा पाते हैं तो वो भी जाँच करवा पायेंगे। साथ ही टीबी के बारे में पूरी तरह से जान भी पायेंगें। .इसका फायदा ये होगा कि लोग अपने द्वार पर शिविर को जानकर जरूर आयेंगे। अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये बात हमने कोविड के समय भी देखी है कि जब स्वास्थ्य विभाग ने जगह -जगह पर जाँच एवम टीका शिविर लगाया तो लोग उस शिविर तक आये ,जहाँ अपनी जाँच भी करवायी और टीके भी लगवाये। .उन्होंने आगे बताया कि शिविर का फायदा ये होगा कि अगर कोई एक इंसान अपनी जाँच करवाएगा तो उसे देखकर दूसरा भी जरूर शिविर तक आकर अपनी जाँच करवाएगा। इसका सफल प्रयोग हम कोविड के समय में देख चुके हैं ।.
ये हैं टीबी के प्रारंभिक लक्षण :
– भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
– बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
– हलका बुखार रहना।
– खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
– लगातार पन्द्रह दिनों तक खाँसी रहना
– गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
– बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
– पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।