नियमित टीकाकरण के साथ हुआ टीएचआर का वितरण

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सोशल डिसेन्सिंग का रखा गया खास ख्याल
गृह भ्रमण कर लाभार्थी के बीच टीएचआर का वितरण

लखीसराय, 5 मई-

जिले में बुधवार को नियमित टीकाकरण के साथ –साथ सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में गृह भ्रमण कर टीएचआर वितरण किया गया। इस दौरान सभी धात्री महिला को सोशल डिस्टेन्सिंग एवं हाथ की धुलाई के बारे में भी बताया गया। कार्यक्रम में इस बात का भी ध्यान रखा गया कि किसी भी तरह की लापरवाही न हो। धात्री महिलाओं के साथ नवजात का टीकाकरण व टीएचआर वितरण भी हुआ।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी अनुपमा ने बताया टीकाकरण कार्य में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने गर्भवती माताओं को भी कोरोना संक्रमण से बचाव व टीकाकरण की जरूरत पर भी जागरूक किया। इसके साथ गृह भ्रमण द्वारा लाभार्थी के बीच टीएचआर का भी वितरण किया गया। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर आशा व अन्य मोबिलाइजरों द्वारा लाभार्थी अथवा उसके अभिभावकों में भी बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जाँच कराने की सलाह दी गई । व्यक्तिगत दूरी, मुंह को ढककर रखने व नियमित रूप से 40 सेकेंड तक हाथ धोने आदि की भी जानकारी दी गयी।
हर माह मिल रहा है टीएचआर:
जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक माह हजारों गर्भवती/धातृ महिलाओं, कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों के बीच टीएचआर/टेक होम राशन का वितरण होता है। इस दिन इन्हें केन्द्रों पर चावल,दाल तथा सोयाबड़ी या अंडे दिये जाते हैं। उल्लेखनीय है कि टीएचआर के दिन धातृ व गर्भवती महिलाओं को जहां 3 किलो चावल व डेढ़ किलो दाल दिये जाते हैं, वहीं कुपोषित बच्चों को ढ़ाई किलो चावल एवं सवा किलो दाल के साथ सोयाबड़ी या फिर अंडे दिये जाते हैं। इसी तरह अति कुपोषित बच्चों को 4 किलो चावल व 2 किलो दाल के साथ सोयाबड़ी या फिर अंडे दिये जाते हैं।

घर-घर जाकर भी दे रहे हैं टीएचआर:
कोरोना संक्रमण को लेकर अभी लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। इस वजह से आंगनबाड़ी सेविका लोगों के घरों पर जाकर भी टीएचआर का वितरण कर रही हैं। साथ ही उन्हें कोरोना के प्रति जागरूक कर रही हैं।

नियमित टीकाकरण (रूटीन इम्यूनाइजेशन) कई तरह की बीमारियों से करता है बचाव:
शिशुओं व गर्भवती महिलाओं का नियमित टीकाकरण (रूटीन इम्यूनाइजेशन) उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है| इनमें कई बीमारियां शामिल हैं|. टीकाकरण से बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है ताकि उनके रोग से लड़ने की क्षमता विकसित हो सके| बीमारियां जैसे खसरा, टिटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलाघोंटू, काली खांसी व हेपेटाइटिस बी आदि बीमारियों से यह बच्चों की सुरक्षा करता है|