बांका जिले के सभी 813 टीबी मरीजों पर रखी जा रही निगरानी

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-जांच-इलाज से लेकर मुफ्त में मिल रही दवा, साथ में राशि भी
-बीच में दवा नहीं छोड़े, पर्यवेक्षक मरीजों का लेते रहते हैं हालचाल
बांका, 5 जुलाई-
जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाना है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग भरपूर प्रयास कर रहा है। टीबी मरीजों को चिह्नित करने और उसका इलाज करने का काम लगातार चल रहा है। 30 जून तक के आंकड़े के मुताबिक जिले में 813 टीबी मरीज हैं। 31 मई तक जिले में 707 टीबी मरीज थे। यानी सिर्फ जून महीने में ही 106 टीबी मरीजों की पहचान की गई है। यह इस बात का प्रमाण है कि टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है और अभियान कितना तेज गति से चल रहा है। साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि जिले में टीबी मरीज तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। एक महीने में एक सौ से ज्यादा टीबी मरीज मिल रहे हैं, इसके बावजूद कुल मरीजों की संख्या 813 है। ये आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि जिले में टीबी के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि जिले में टीबी को लेकर अभियान काफी तेजी से चल रहा है। प्रखंड स्तर पर तो मरीजों का ध्यान रखा ही जा रहा है। साथ ही जिला स्तर से भी मरीजों की निगरानी हो रही है। यहां से पर्यवेक्षक लगातार मरीजों का हालचाल पूछते रहते हैं। कोई भी मरीज बीच में दवा नहीं छोड़ दे, इसे लेकर गाइड भी करते हैं। इसी का परिणाम है कि जिले में तेजी से टीबी के मरीज ठीक हो रहे हैं। मरीजों को जांच-इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिल रही है। साथ में पौष्टिक आहार के लिए 500 रुपये प्रतिमाह की राशि भी मिल रही है।
लक्षण दिखे तो जाएं सरकारी अस्पतालः डॉ. सिन्हा कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में जांच करानी चाहिए। ये टीबी के लक्षण हैं। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए घनी आबादी वाले इलाके में लगातार टीबी मरीजों को चिह्नित किया जा रहा है। लोगों को बचाव की जानकारी दी जा रही है। साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है।
बीच में नहीं छोड़ें दवाः डॉ. सिन्हा कहते हैं कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन नहीं छोड़ना चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।