-आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर परिवार के सदस्यों को ओआरएस के इस्तेमाल की जानकारी दे रहीं
-जिले के तीन लाख 56 हजार तीन सौ 20 घरों में ओआरएस पैकेट वितरण का रखा गया है लक्ष्य
बांका, 15 जुलाई-
जिले में शुक्रवार से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आगाज हो गया, जो 30 जुलाई तक चलेगा। बांका जिले में अभियान के दौरान तीन लाख 56 हजार तीन सौ 20 घरों में आशा कार्य़कर्ताओं द्वारा प्रति बच्चा ओआरएस के एक-एक पैकेट वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। शहरी क्षेत्र समेत जिले के सभी प्रखंडों में आज से ओआरएस घोल वितरण का काम शुरू कर दिया गया है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को इस अभियान के लिए नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।
सिविल सर्जन डॉ. रविंद्र नारायण ने बताया कि शिशु मृत्यु का एक बड़ा कारण दस्त होना है। इसे देखते हुए जिले में शुक्रवार से 30 जुलाई तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही दस्त के कारण शिशु-मृत्यु और इसकी रोकथाम के बारे में आमलोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दस्त से होने वाली शिशु मृत्यु दर को शून्य तक लाने के लिए सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। पखवाड़े के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता ओआरएस के पैकेट वितरण और इसके इस्तेमाल की जानकारी के दौरान गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन कर रही हैं।
पांच वर्ष के उम्र तक के बच्चे को किया गया है लक्षित: सिविल सर्जन ने बताया कि दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान जिले के सभी पांच वर्ष तक के बच्चों को लक्षित किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य उपकेंद्र, अतिसंवेदनशील क्षेत्र, शहरी झुग्गी-झोपड़ी, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट-भट्ठे के निर्माण वाला क्षेत्र, अनाथालय और ऐसे चिह्नित क्षेत्र जहां दो तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों, छोटे गांव व टोले जहां साफ सफाई और पानी की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो, ऐसी जगहों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखा गया है। जिला प्रतिरक्षण कार्यालय से अभियान की 15 दिनों तक लगातार निगरानी की जाएगी।
आशा कार्यकर्ताओं के पास है सूचीः सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का क्रियान्वयन सही तरीके से हो, इसे लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र के पांच वर्ष तक के बच्चे वाले घरों की सूची बना ली है, जो उनके पास है। अभियान के दौरान पांच वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता परिवार के सदस्यों को ओआरएस के घोल बनाने और इसके उपयोग की विधि और इसके लाभ के बारे में भी बता रही हैं। परिवार के सदस्यों को साफ-सफाई और हाथ धोने के तरीकों की जानकारी भी दे रही हैं। परिवार के सदस्य को दस्त होने के दौरान बच्चे को जिंक का उपयोग करने की जानकारी दी जा रही है। जिंक का प्रयोग करने से दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है। दस्त ठीक नहीं होने पर गंभीर स्थिति में बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाने की सलाह परिवार के सदस्यों को दी जा रही है। पखवाड़ा के दौरान दस्त के कारण हुई मृत्यु की रिपोर्ट प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को देनी है। दस्त से ग्रसित अति गंभीर कुपोषित बच्चों को रेफर करना है और घर पर पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन गोली के उपयोग को भी बढ़ावा देना है।