राफेल डील पर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस

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नई दिल्ली –

 

संसद और संसद के बाहर कुछ दिनों से फ्रांस के साथ राफेल एयरक्राफ्ट के डील का मुद्दा गरमाया हुआ है। जहां मोदी सरकार राफेल को लेकर सीक्रेट डील की बात कर रही है, वहीं विपक्ष इस बात पे सरकार के पिछे पड़ गयी है कि अगर मोदी सरकार ने कोई सीक्रेट डील राफेल पर किया है तो उसे सरकार छुपा क्यों रही है. देश की जनता को जानने का ये हक है कि कैसे राफेल का दाम तीन गुना बढ़ गया।

 

जानकारी के अनुसार कांग्रेस सरकार में एक राफेल का दाम 520 करोड़ रूपये था जो अब 1600 करोड़ हो गया है, जिससे विपक्ष को सवाल करने का मौका मिल गया है और कांग्रेस जिसे छोड़ना नहीं चाहती है. संसद में कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी राफेल डील के मुद्दे पर भाजपा सरकार और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर हमला बोला. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी और कांग्रेस पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कॉन्फेंस के जरिए

 

राफेल डील के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर संसद और देश की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्टी द्वारा इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेषाधिकार के हनन की बात कही गई। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री द्वारा संसद को गुमराह करना विशेषाधिकार का हनन है और कांग्रेस पार्टी इस बात को लेकर लोकसभा में नोटिस भी देगी.

 

राफेल डील के मुद्दे पर पूर्व मंत्री एके एंटनी ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि राफेल डील की पिछली सरकार ने राफेल को कई कंपनियो से वार्ता कर राफेल को चुना था और इस विषय पर कई कंपनियों से बातचीत की थी. उन्होने कहा कि फिर जाकर राफेल को सिलेक्ट किया गया. एके एंटनी ने कहा कि वर्तमान में सरकार ने ऐसे कंपनी को राफेल एयरक्राफ्ट बनाने का काम दे दिया है जिसके पास इस तरह के एयरक्राफ्ट बनाने का कोई अनुभव नही है.

इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार से सवाल किया की अगर सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल के मुद्दे पर अगर कोई सीक्रेट डील की गई है तो सरकार उसे उजागर क्यों नहीं करती है. इसके अलावा कहा गया की मोदी सरकार में राफेल के दाम का बढ़ना किसी को समक्ष में नहीं आ  रहा है और ये एक पहेली बनकर रह गई है. कांग्रेस द्वारा राफेल मुद्दे पर सरकार को घेरना लाजमी है क्योकि जानकार मानते है कि 2019 के चुनाव में कामयाबी के लिए ये मुद्दा कांग्रेस के लिए अहम है क्योकि दोनो ही पार्टियां अभी से ही 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुकी है।