सही पोषण लेकर टीबी से करें अपना बचावः सिविल सर्जन

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-2025 तक टीबी को खत्म करने को लेकर चल रहा अभियान
-सरकारी अस्पतालों में जांच से लेकर दवा की है मुफ्त व्यवस्था
भागलपुर, 24 सितंबर।
टीबी मुक्त बिहार बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इस काम में ,बिहार सरकार को केयर इंडिया और कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी)का भी साथ मिल रहा है। 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करने के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों में जनआंदोलन कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इसे लेकर जागरूकता कार्य़क्रम, निःशुल्क जांच शिविर और एक्टिव केस फाइंडिंग के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। सरकार के टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सभी टीबी मरीजों को बेहतर और नियमित उपचार प्रदान किया जा रहा है।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को टीबी से बचने के लिए सलाह दी जा रही है। लोग उस पर अमल करें। उन्होंने कहा कि टीबी से बचाव के लिए सही पोषण भी जरूरी है। अगर सही पोषण नहीं मिलेगा तो लोग कुपोषण के शिकार हो जाएंगे और उस पर टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसलिए लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और मिनरल्स की मात्रा जरूर होनी चाहिए।
घनी आबादी वाले इलाके मे जागरूकता अभियान:डॉ. शर्मा ने कहा कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
टीबी के लक्षण
1. दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।
2. रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंडे का क्यों न हो।
3. लगातार बुखार रहना
4.थकावट होना
5.वजन घटना
6.सांस लेने में परेशानी होना

बचाव के तरीके-
1. जांच के बाद टी.बी.रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।
2.मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें।
3.मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।
4.मरीज हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।
5.पौष्टिक खाना खाएं।योगाभ्यास करें।
6.बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।
7. भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचें।