-अमरपुर रेफरल अस्पताल में बेटे को जन्म देने के बाद बोली प्रसूता डॉली
-शॉर्ट सर्किट से कुछ समय के लिए लाइट चली गई थी, फिर भी सफल सर्जरी
बांका, 16 मई-
मैडम ने तो मुझे बचा लिया। मेरे साथ मेरे बच्चे को भी जीवन दिया। इसके लिए उनका लाख-लाख शुक्रिया। यह दुआ ऐसे नहीं निकलती है। इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वैसे तो डॉक्टरी पेशा को ही सेवा माना जाता है, लेकिन कुछ ऐसे विरले होते हैं, जो न सिर्फ इस कहावत पर खरा उतरते हैं, बल्कि दूसरों के लिए एक नया मापदंड भी बना देते हैं। ऐसा ही किया है अमरपुर रेफरल अस्पताल की डॉ. दीप्ति सिन्हा ने।
दरअसल, सोमवार को अमरपुर रेफरल अस्पताल में शॉर्ट शर्किट लगने की वजह से कुछ समय के लिए लाइट चली गई थी और गोपालपुर गांव की डॉली कुमारी का सिजेरियन से प्रसव हो रहा था। अंधेरे में ऑपरेशन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन बहादुर डॉ दीप्ति सिन्हा ने टॉर्च और मोबाइल के जरिये सफल ऑपरेशन किया। डॉली ने बेटे को जन्म दिया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ है। इसके बाद तो सिर्फ डॉली ही नहीं, बल्कि उसके परिजन और अस्पताल आए पड़ोसी भी डॉ. दीप्ति सिन्हा को लाख-लाख शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
मैंने सिर्फ अपना कर्तव्य निभायाः डॉ. दीप्ति सिन्हा कहती हैं कि मैंने कुछ विशेष नहीं किया। सिर्फ अपने कर्तव्य को निभाया। अगर कभी कोई मुश्किल आ जाती है तो उस समय यह निर्णय लेना होता है कि हमारे लिए क्या सबसे महत्वपूर्ण है। एक डॉक्टर के लिए मरीजों की सुरक्षा से बड़ी जिम्मेदारी और कुछ नहीं हो सकती। मैं जब डॉली की सर्जरी कर रही थी तो अचानक थोड़ी देर के लिए बिजली चली गई थी। वैसे तो हमारे अस्पताल में कभी ऐसी घटना नहीं होती है, लेकिन तकनीकी वजह से कुछ इस तरह की परेशानी हो गई तो मैं कैसे वहां पर पीछे हट सकती थी। ऐसे समय में फैसले लेने की क्षमता महत्वपूर्ण होती है। मैंने फैसला लिया कि ऑपरेशन को रोकना नहीं है। अगर बिजली आने में देरी होती है तो मरीज को परेशानी हो सकती है। इसलिए मैं अपना काम वैकल्पिक व्यवस्था के जरिये करती रही, जिसका सुखद परिणाम सभी के सामने हैं।
डॉ दीप्ति और रायबहादुर का शुक्रियाः अमरपुर रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि हम डॉक्टरों को चुनौती में काम करने की आदत होती है। पिछले दो सालों से कोरोना काल में एक से बढ़कर एक चुनौती का सामना किया और उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसलिए सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी इसमें महारत हासिल है। अस्पताल में शॉर्ट सर्किट की वजह से थोड़ी देर के लिए लाइट चली गई थी, लेकिन इसके बावजूद दीप्ति ने अपना कर्तव्य सफलतापूर्वक निभाया। दीप्ति के साथ-साथ बेहोशी के डॉ रायबहादुर का भी शुक्रिया, जिन्होंने इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वैसे तो अमरपुर रेफरल अस्पताल में तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, इसके बावजूद इस तरह की कुछ घटनाएं हो जाती हैं। हालांकि समय रहते ही उससे हमलोग पार पा लेते हैं।