दिल्ली के मुख्यमंत्री क्लीनिकल इस्टैबलिस्टमेन्ट एक्ट 2010 तुरन्त लागू करें

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नई दिल्ली-

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली में चल रहे अवैध जांच प्रयोगशालाओं पर किये गये एक टिप्पणी का हवाला देते हुये प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार की कड़ी निंदा की है और कहा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसकी अकर्मण्यता और लापरवाही के कारण ही जांच प्रयोगशालाओं के रजिस्ट्रीकरण और विनियमन के लिए कोई कानून नहीं है। जबकि सभी संघ राज्य क्षेत्रों ने केन्द्र द्वारा बनाये गये क्लीनिकल इस्टैबलिस्टमेन्ट एक्ट 2010 को कार्यान्वित किया है।

तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार क्लीनिकल इस्टैबलिस्टमेन्ट एक्ट 2010 का समुचित कार्यान्वयन करने में असफल रही है और उपराज्यपाल से इन अवैध जांच प्रयोगशालाओं का संज्ञान लेने के लिए अनुरोध किया है जो दिल्ली में चल रही हैं।
तिवारी ने बताया कि क्लीनिकल इस्टैबलिस्टमेन्ट एक्ट 2010 का उद्देश्य पूरे देश में स्वास्थ्य सेवओं को एक सूत्र में बांधना है जिससे कि निजी क्षेत्र में अनैतिक रूप से चलाई जा रही प्रयोगशालाओं पर नियंत्रण रखा जा सके, जिसे दिल्ली सरकार ने लागू नहीं किया है और हजारों प्रयोगशालाओं में से केवल 130 प्रयोगशालायें ही एन.ए.बी.एल. द्वारा एक्रीडेटिड हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि लोगों की बीमारियों की गतल जांच हो रही है और उन्हें ऐसे उपचार दिये जा रहे हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता ही नहीं है। मोहल्ला क्लीनिकों की वीडियो ग्राफी के माध्यम से हाल ही में हुई जांच का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिकों पर केजरीवाल ने करदाताओं के करोड़ों रूपये बहाये हैं जो अब असमाजिक तत्वों का केन्द्र बन गये हैं, इससे दिल्ली सरकार की नाकामी उजागर होती है तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की राजधानी को शर्मसार होना पड़ रहा है।
तिवारी ने आगे कहा कि केजरीवाल ने विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत दिल्ली में लागू नहीं की है जो दिल्ली के लाखों परिवारों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने केजरीवाल की नौटंकी की निंदा करते हुये कहा कि वह अपने राजनैतिक फायदे के लिए विधानसभा सत्र तो बुला सकते हैं किन्तु जनकल्याण से संबंधि मुद्दों पर नहीं बुलाते।