मौत के पांच घंटे के बाद शव से कोरोना वायरस का असर होने लगता है खत्म
परेशानी होने पर स्वास्थ्य विभाग से करें संपर्क, मृतक के परिजनों की होगी मदद
भागलपुर, 3 जुलाई
कोरोना से मरीज की मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों को घबराने की जरूरत नहीं है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग चौकस है. दुर्भाग्यवश अगर किसी कोरोना मरीज की मौत हो जाती है तो परिजन सावधानीपूर्वक तरीके से उसका अंतिम संस्कार कर सकते हैं। ऐसा करने में किसी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं है.
डीपीएम डॉक्टर फैजान अशर्फी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे मामले को लेकर चौकस है. विभाग लोगों से लगातार अपील कर रहा है कि अगर कोरोना से किसी की मौत हो जाती है तो सावधानीपूर्वक उनका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. परिवार के लोगों को ज्यादा घबराना नहीं चाहिए. मौत के पांच घंटे के बाद कोरोना वायरस का असर खत्म होने लगता है. इसलिए सावधानीपूर्वक अंतिम संस्कार कर देना चाहिए. अगर इस तरह के मामलों में स्वास्थ्य विभाग के पास कोई मदद के लिए आता है तो उसकी मदद की जाएगी.
शवों के सुरक्षित निस्तारण को लेकर दिए गए हैं निर्देश: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार की चुनौतियों को कम करने एवं संक्रमितों को बेहतर उपचार प्रदान करने की दिशा में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है. साथ ही कोविड-19 संक्रमितों की मौत होने पर उनके शवों के सुरक्षित प्रबंधन एवं निस्तारण को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा दिशानिर्देश भी जारी किया गया है. इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रशासी पदाधिकारी खालिद अरशद ने 21 मार्च को ही चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीक्षकों , आईजीआईएमएस, एम्स, पटना एवं सभी सीविल सर्जन को पत्र लिखकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा शव प्रबंधन को लेकर जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन करने के निर्देश दिए थे.
शव प्रबन्धन में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को सावधानी बरतने की सलाह: दिशानिर्देश के अनुसार शव प्रबंधन में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को स्टैण्डर्ड इन्फेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल प्रोटोकॉल अनुपालन करने की सलाह दी गयी है. जिसमें उनके द्वारा हाथों की सफाई एवं पर्सनल प्रोटेक्टिव एक़ुइप्मेन्ट( वाटर रेसिस्टेंट एप्रन, ग्लव्स, मास्क एवं आईवियर) इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है. साथ ही शव प्रबंधन में इस्तेमाल हुयी किसी भी प्रकार के एक़ुइप्मेन्ट एवं डिवाइस को डिसइन्फेक्ट करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
आईसोलेशन रूम या क्षेत्र से शव निकालने में बरतें सावधानी: कोरोना संक्रमित की मृत्यु के बाद उन्हें आईसोलेशन रूम या क्षेत्र से निकालने के दौरान एवं बाद में सतर्कता बरतने के विषय में भी विस्तार से सलाह दी गयी है. मरीज के शरीर में लगी ट्यूब व कैथटर को सावधानी पूर्वक हटाया जाना है. शव के किसी हिस्से में हुए जख्म या खून के रिसाव को ढंकना है. उस हिस्से को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित व ड्रेसिंग कर शव को प्लास्टिक बैग में रखा जाना है और ध्यान रखना है शरीर से तरल पदार्थ का रिसाव बाहर न हो. संक्रमित के इलाज के दौरान इस्तेमाल सभी चीजों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के अनुसार ही नष्ट करना है.
सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन कर परिजन ले सकते हैं शव: दिशानिर्देश में कोविड-19 संक्रमित मृतक के शव को उनके परिजनों के हवाले करने के निर्देश दिए गए हैं. शव को विशेष रूप से तैयार किये गये प्लास्टिक बैग में रख कर ही शव को उनके परिजन को देने के निर्देश दिए गए हैं. यह बताया गया है कि परिजन कोविड-19 के सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ शव का दर्शन कर सकते हैं. लेकिन शव को नहलाना चूमना व गले लगाना आदि पर रोक है. शव पर किसी प्रकार का लेप नहीं लगाना है. शवदाह गृह या कब्रिस्तान में भी अंतिम संस्कार कार्य में लगे लोगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह हाथ धोने , मास्क व दस्तानों का इस्तेमाल करने एवं परस्पर दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही शव के अंतिम संस्कार में अधिक भीड़-भाड़ नहीं करने की बात भी कही गयी है. इसके लिए परिजनों व अंतिम संस्कार से जुड़े कार्यों को संपादित करने वालों को ही मृतक की अंतिम यात्रा में शामिल होने की सलाह दी गयी है. शव के अंतिम संस्कार के बाद इस कार्य में लगे परिजनों एवं लोगों को साबुन एवं पानी से हाथ धोने, मास्क का इस्तेमाल करने, परस्पर दूरी बनाए रखने एवं व्यक्तिगत साफ़-सफाई के नियमों का पूरी तरह पालन करने अपील भी की गयी है.
परिजन कर सकते हैं जरूरी विधि-विधान: गाइडलाइन में कहा गया है कि अंतिम संस्कार के दौरान वैसी गतिविधियां जिनमें शव के संपर्क में आने की जरूरत नहीं हो, जैसे पवित्र जल का छिड़काव, मंत्रोच्चार या ऐसे अन्य कार्य किए जा सकते हैं. शव को जलाने के बाद उसके राख से किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा नहीं है. इसलिए इसे जमा किया जा सकता है.