मानसिक समस्या को गंभीरता से लेने की है जरुरत- मनोज कुमार

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मानसिक स्वास्थ्य पर तीन दिवसीय ऑनसाईट प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति, एम्स पटना और निमहांस बंगलुरू में हुआ एमओयू पर हस्ताक्षर

पटना/ 24 मार्च-

“मानसिक समस्या से ग्रसित लोगों के साथ समुदाय में व्याप्त उदासीनता एवं भेदभाव का चलन मानसिक स्वास्थ्य की प्रगति में सबसे बड़ा अवरोधक है. मानसिक समस्याओं के कारण होने वाली मृत्यु दर कई और रोगों जैसे एनीमिया, डायरिया, मधुमेह आदि से कहीं ज्यादा है और यह स्वास्थ्य विभाग एवं समाज के सामने एक चुनौती है. इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है और मैं मानता हूँ कि राज्य स्वास्थ्य समिति, एम्स पटना और निमहांस के आपसी सहयोग से इस दुर्भाग्यपूर्ण स्वास्थ्य समस्या का निवारण करने में मदद मिलेगी”।उक्त बातें कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति मनोज कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य पर एम्स पटना में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कही।

सामुदायिक एवं पंचायत स्तर पर लायी जाएगी जागरूकता:
कार्यपालक निदेशक ने बताया सामुदायिक एवं पंचायत स्तर पर गाँव, क़स्बा, स्कूल एवं अन्य सभी संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं स्वास्थ्य कैंप आयोजित किया जा रहा है. जिला के कारागृह में भी मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी कैंप नियमित रूप से आयोजित कराया जा रहा है और बंदियों को मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी उपचार की उपलब्धता की जा रही है. साथ ही चिकित्साकर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए नामित भी किया जा रहा है ।
कार्यपालक निदेशक ने बताया 2021-22 में बाकी 7 जिले अरवल, भोजपुर, दरभंगा, जहानाबाद, लखीसराय, नालंदा, पटना में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू क्रियान्वयन के लिए 17 सामान्य चिकित्सक जिसमे 10 जिला अस्पताल एवं 7 जिले के कारागृह से 7 चिकित्सक एवं 18 परिचारिकाओं को नामित कर मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा एवं सेवा में प्रशिक्षण करना निर्धारित हुआ है. एम्स में तीन दिवसीय ऑनसाईट प्रशिक्षण के उपरांत एक वर्ष का ऑनलाइन प्रशिक्षण निमहांस बंगलुरू के कुशल प्रशिक्षकों द्वारा कराया जाएगा.

मानसिक रोग के प्राथमिक लक्षणों को चिन्हित करना जरुरी:
निमहांस बंगलुरू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने बताया देश में 75 से 90 फीसदी आबादी को मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं और यह सभी राज्य सरकारों एवं स्वास्थ्य संस्थानों के लिए एक चुनौती है. मानसिक रोग के प्राथमिक लक्षणों को चिन्हित करना अति आवश्यक है क्योंकि इसी से मरीज के उपचार एवं पूर्ण स्वस्थ होने की रूपरेखा तैयार होती है.

इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति मनोज कुमार, एम्स पटना के निदेशक डॉ. पी.के.सिंह, निमहांस बंगलुरू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा मूर्ति, एम्स पटना के डीन डॉ. उमेश कुमार भदानी, एम्स पटना के अधीक्षक डॉ.सी.एम.सिंह के अलावा राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारीगण, निमहंस बंगलुरु के चिकित्सक और एम्स पटना के चिकित्सक और अधिकारी मौजूद थे.