लोगों को सही पोषण लेने के लिए जागरूक कर रही है पोषण योद्धा कुंदन वाला

244

-सही पोषण तो देश रौशन’ को अपना मूलमंत्र बनाया है
– तारापुर अनुमंडल के रणगांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 पर तीन दशक से सही पोषण के लिए लोगों को जागरूक कर रही है आंगनबाड़ी सेविका कुंदन बाला
– अपने आंगनबाड़ी क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं, प्रसूति महिलाओं और धातृ महिलाओं को सही पोषण के लिए प्रेरित करती हैं सेविका

मुंगेर-

आंगनबाड़ी सेविका कुन्दन बाला ‘सही पोषण तो देश रौशन’ को अपना मूलमंत्र बनाकर लोगों को सही पोषण लेने के लिए जागरूक कर रही हैं । जिले के तारापुर अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत रणगांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 पर पिछले तीन दशक से वह काम कर रही है |
पूरी मेडिकल हिस्ट्री नोट करने के बाद बीपी, हीमोग्लोबिन, एचआईवी सहित अन्य आवश्यक जांच करवाती-
उन्होंने बताया कि वो तारापुर के रण गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 51 क्षेत्र में किसी महिला के गर्भवती होने की सूचना मिलने के बाद सबसे पहले महिला का नाम, पता के साथ उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री नोट करने के बाद बीपी, हीमोग्लोबिन, एचआईवी सहित अन्य आवश्यक जांच करवाती हैं । इसके साथ ही गर्भवती महिला में खून की कमी होने की स्थिति में आयरन और कैल्सियम की गोली खाने के साथ आहार के रूप में हरी साग- सब्जी, फल, प्रोटीन युक्त अनाज के साथ ही मांस- मछ्ली और अंडा खाने की सलाह देती हैं। इसके साथ प्रसव से पूर्व स्थानीय अस्पताल में चार बार एएनसी जांच करवाने की सलाह देती हैं। वह गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए नजदीकी अस्पताल में प्रसव कराने , प्रसव के बाद प्रसूति महिला को बच्चे के जन्म के एक घंटा के अंदर गाढ़ा पीला दूध ‘कोलेस्ट्रम’ पिलाने, कम से कम छह महीने तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराने की सलाह देती हैं । इसके साथ ही बच्चे के छह महीने के होने के बाद अन्नप्राशन संस्कार के जरिये माताओं को स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार के रूप में कैलोरी की पूर्ति के लिए सूजी का हलवा, सेब का मिक्स किया हुआ आहार देने की सलाह देती हैं ।

तारापुर के रणगांव निवासी अंबुज पांडा और उनकी पत्नी रीमा देवी ने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका कुंदन बाला मेरे दोनों बच्चों के जन्म के दौरान और उसके बाद भी लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं । उनकी सलाह को मानने की वजह से ही मेरा छोटा सा परिवार सुखी और स्वस्थ्य है। रीमा देवी ने बताया कि सन 2014 में मैने पहली बार गर्भधारण किया था तब आंगनबाड़ी सेविका ने अपनी देखरेख में मेरा रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही अन्य आवश्यक जांच और अनुमंडल अस्पताल तारापुर में चार बार एएनसी जांच करवायी थी इसके साथ ही उन्होंने गर्भवस्था के दौरान आयरन- कैल्सियम की गोली खाने के साथ ही खाने में हरी पत्ती दार सब्जी, दाल , फल, मौसमी फल और मांस- मछली और अंडा खाने की सलाह दी। उनके द्वारा बताए गए सभी महत्वपूर्ण सलाह को उसी रूप में मानने का परिणाम हुआ कि मेरा बच्चा जो लड़का है बिल्कुल स्वस्थ पैदा हुआ। इसके बाद उन्होंने नवजात बच्चे को जन्म के एक घंटे के अंदर अपना दूध पिलाने के साथ ही अगले छह महीने तक सिर्फ और सिर्फ अपना स्तनपान कराने की सलाह दी। इसके बाद छह महीने की अवधि पूरा होने के बाद उन्होंने स्तनपान के साथ बच्चे को अनुपूरक आहार के रूप में हल्का सुपाच्य कैलोरी युक्त खाना खिलाने की सलाह दी। सलाह पर अमल का ही परिणाम है कि मेरा बेटा और मैं बिल्कुल स्वस्थ्य हूँ। बताया कि पहले बच्चे के जन्म के बाद ही सेविका दीदी ने मुझे अपने परिवार को सुखी सम्पन्न बनाने के लिए और दो बच्चों में सही अन्तर रखने के लिए परिवार नियोजन के अस्थाई साधन अपनाने की सलाह दी । सलाह मानने के कारण ही लगभग पांच वर्ष के बाद मैंने अपने दूसरे बच्चे के रूप में अनुमंडल अस्पताल तारापुर में 2 अक्टूबर 2019 को वैष्णवी को जन्म दिया है। अपने दूसरे बच्चे के जन्म के दौरान भी मैने सेविका दीदी की सलाह के अनुसार सभी सावधानी और निर्देशों का पालन किया। इसका परिणाम यह हुआ कि मैंने बिल्कुल स्वस्थ बेटी को जन्म दिया । जन्म के वक्त मेरी बेटी का वजन 3 किलो था। इसके बाद मैंने सेविका दीदी की सलाह के अनुसार छह महीने तक सिर्फ और सिर्फ अपना दूध पिलाया और उसके बाद अपने दूध के साथ अनुपूरक आहार भी देना शुरू कर दिया। इसके बाद महसूस किया कि मेरी बच्ची का वजन उसके उम्र के अनुसार नहीं बढ़ पा रहा है तो मैंने इस सम्बंध में सेविका दीदी से सलाह ली तो उन्होंने बच्ची को सही देखभाल के लिए मुंगेर स्थित पोषण और पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने की सलाह दी। इसके बाद सेविका दीदी ने अपने साथ लेकर मेरी बच्ची को 19 जनवरी को पोषण पुनर्वास केंद्र मुंगेर में भर्ती करवाई| उस समय मेरी बच्ची का वजन 7.100 किलोग्राम था। वहां 18 दिन रखने के बाद 05 फरवरी को डिस्चार्ज कर दिया गया। डिस्चार्ज के वक्त मेरी बच्ची का वजन 7.925 किलोग्राम था।

पोषण एवं पुनर्वास केंद्र मुंगेर की फीडिंग डिमांस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि ‘सही पोषण तो देश रोशन’ के लिए आवश्यक है कि गर्भधारण के साथ ही गर्भवती महिला के पोषण पर ध्यान देने की अवश्यकता है ताकि महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी सही पोषण मिल सके। ताया कि बच्चे के जन्म के एक घंटा के अंदर बच्चे को मां का गाढ़ा पीला दूध कोलेस्ट्रम अवश्य पिलाना चाहिए और जन्म के छह महीने तक बच्चे को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि मां के दूध में 80 प्रतिशत पानी के अलावे सभी आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं जो छह महीने के शिशु के लिए आवश्यक होता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि छह महीने के बाद बच्चे को मां के स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार के रूप में पाउडर के रूप में कैलोरी से युक्त सही मात्रा में गुनवतापूर्ण आहार देना आवश्यक है।