-टीबी के लक्षण और बचाव की दी गई जानकारी
-6 समुदायों के 30 लोगों ने प्रशिक्षण में लिया भाग
भागलपुर, 3 जून.-
नाथनगर प्रखंड स्थित चंपानगर के वार्ड नंबर दो के सामुदायिक भवन में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशनल ट्रस्ट (केएचपीटी) ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से टीबी को लेकर प्रशिक्षण का आयोजन किया। इसमें चंपानगर के 6 समुदाय के 30 लोगों ने भाग लिया। इसमें बुनकर एसोसिएशन से 8, मोमिन लाइब्रेरी से 4, बुनकर कामगार सेवा समिति से 4, श्री मनसा देवी मंदिर समिति से 5, श्वेतांबर जैन मंदिर समिति से 4 और अंग मदद फाउंडेशन से 5 लोगों ने भाग लेकर प्रशिक्षण लिया। मौके पर केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट लीड आरती झा, कृष्णा कुमारी, सुमित कुमार और फैयाज खान समेत कई लोग उपस्थित थे।
इस मौके पर आरती झा ने लोगों को बताया कि लगातार दो हफ्ते खांसी होना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना, शाम के वक्त अधिक पसीना आना आदि लक्षण टीबी के हैं। इस तरह की परेशानी होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में जाएं और जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तत्काल इलाज करवाएं। टीबी के इलाज की व्यवस्था सरकार की तरफ से मुफ्त में होता है। साथ टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार लेने के लिए 500 रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी मिलती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण में समुदाय के लोग शामिल रहे। इनकी बातों को लोग ज्यादा गौर से सुनेंगे औऱ इसका असर पड़ेगा। लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
टीबी मरीजों से नहीं करें भेदभावः सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने कहा कि पहले टीबी बीमारी के प्रति छुआछूत अधिक थी, लेकिन जागरूकता बढ़ने से इसमें कमी आई है। टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। अगर कोई टीबी के लक्षण वाले लोग दिखते हैं तो उससे घृणा करने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से मरीज का इलाज समय पर हो जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। उसके ठीक होने से इसका संक्रमण दूसरों में भी नहीं होगा। साथ ही टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है। एमडीआर टीबी होने पर ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है। इसलिए बीच में दवा नहीं छोड़ें।
टीबी को हल्के में नहीं लेना चाहिएः डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।