अगर इरादे मजबूत हो तो क्या नहीं किया जा सकता है। अटूट विश्वास और मेहनत के बल पर अपने को साबित करने वाले 36 वर्षीय अभिनेता व निर्देशक संतोष ओझा की फिल्म और टीवी जगत में अपनी एक अलग पहचान है। इन्होंने कई धारावाहिक, विज्ञापन और कॉरपोरेट फिल्मों में काम किया है।
यूपी के गाजियाबाद में जन्में संतोष ओझा रांची, पटना, बलिया और इलाहाबाद में पले-बढ़े। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 2004 में एम. ए. इन थियेटर की डिग्री ली। इसके बाद वे दिल्ली आ गए और आर्टिस्ट के रूप में उनका चयन श्री राम सेंटर रेपेटरी में हो गया। 2007 तक वो दिल्ली में स्टेज एक्टर एवं थियेटर टीचर के रूप में काम करते रहे। इस बीच इन्होंने अग्नि बरखा, कॉमेडी ऑफ एरर्स, मटी-गाड़ी, काली बर्क और एक गधे की आत्म कथा आदि नाटकों में अपने अभिनय से एक अमिट छाप छोड़ी। इसी बीच तीसरे प्रयास में संतोष ओझा का चयन एफटीआईआई में एक्टिंग कोर्स हेतु 2007 में हो गया।
2010 में एफटीआईआई से ग्रेजुएट होने के बाद संतोश ओझा ने मुम्बई की ओर रूख किया। निर्देशक गोल्डी बहल के सीरियल रिपोटर्स में इन्हें इंसपेक्टर अरूण खुराना के रूप में पहला मौका मिला।
आग्नेय सिंह द्वारा निर्देषित फिल्म एम क्रीम इनकी पहली फिल्म थी जिसमें इन्होंने सोशल एक्टिविस्ट राम हरिहरन रेहर का किरदार निभाया। ये फिल्म 40 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई। सन् 2016 में इन्होंने पुर्णमासी की रात और टेल्स ऑफ सोलमेट को निर्देशित किया।
एन.एस.डी. और एफ.टी.आई.आई पास आउट एक्टर्स के साथ बनने वाली फिचर फिल्म ‘मरूस्थल’ भविष्य के मुख्य प्रोजेक्ट में से एक है। लक्की कमांडो फिल्मस द्वारा प्रोडयूस्ड फिल्म मरूस्थल को संतोष ओझा निर्देशित करने जा रहे हैं। उन्होंने कई स्थापित एवं उभरते अभिनेताओं को अब तक प्रशिक्षित किया है। हाल ही में उन्होंने जी-5 के नए कार्यक्रम के लिए अभिनेता साकिब सलीम के साथ डायलेक्ट कोच के रूप में काम किया।
हरफनमौला संतोश ओझा हर काम को बड़ी शिद्दत और ईमानदारी से करते हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये हर उम्र के युवा की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनके मिलनसार व्यवहार से इनके साथ काम करने वाले कलाकार काफी खुश रहते हैं।