ममता बनर्जी 30 साल में पहली बार खेलेंगी अपना सबसे बड़ा दांव

इस बार विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक होने वाला हैं और ख़ास कर पश्चिम बंगाल का चुनाव और दिलचस्प होने वाला हैं क्योंकि बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी इस बार अपना सबसे बड़ा दांव खेलने जा रही हैं।

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ममता बनर्जी 30 साल में पहली बार खेलेंगी अपना सबसे बड़ा दांव

New delhi: इस बार विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक होने वाला हैं और ख़ास कर पश्चिम बंगाल का चुनाव और दिलचस्प होने वाला हैं क्योंकि बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी इस बार अपना सबसे बड़ा दांव खेलने जा रही हैं। ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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शुक्रवार को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी हुई थीं जब टीएमसी के उम्मीदवारों की सूची आई तो सबकी नजर इसी बात पर थी कि ममता बनर्जी भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों सीट से लड़ती हैं या नहीं। मगर कैंडिडेट लिस्ट जारी करने के साथ ही भाजपा की चुनौती को स्वीकार करते हुए ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया कि वह इस बार सिर्फ उसी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी, जहां पर माना जा रहा है कि भाजपा उनके पुराने सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी को उतार सकती है।

ममता बनर्जी के लिए डर या चुनौती?

mamata banerjee

आपको बता दें कि ममता बनर्जी 2011 से लेकर अब तक भवानीपुर का प्रतिनिधित्व करती आई हैं। 1991 से लेकर 2011 तक ममता बनर्जी कोलकाता (साउथ) की सांसद रहीं। इस लोकसभा सीट में ही भवानीपुर विधानसभा सीट भी आती है। हालांकि, जब 2011 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो उन्होंने भवानीपुर को ही चुना। ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी तो मैं फिर यहां से चुनाव लड़ूंगी। मैं यहां से चुनाव लड़ूं या नहीं, मगर भवानीपुर हमेशा मेरी पकड़ में रहेगी। ममता ने अपनी पारंपरिक सीट से शोभनदेब चट्टोपाध्याय को उतारा है। ममता बनर्जी ने कहा कि मैं हमेशा यहां रहूंगी और नजर रखूंगी।

भवानीपुर में अब लगभग 60% गैर-बंगाली है।

भवानीपुर ने ममता बनर्जी का हमेशा से साथ दिया हैं इसलिए ममता बनर्जी के लिए भवानीपुर बहुत मायने रखता है। भवानीपुर ने न सिर्फ ममता का हाथ थामे रखा, बल्कि फर्श से अर्श तक पहुंचाने में मदद की है। सासंद, केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के ममता बनर्जी के इस सफर में भवानीपुर ने उनका साथ दिया है। मगर अब भवानीपुर तेजी से बदल रही है।

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2 लाख से अधिक मजबूत मतदाताओं की आबादी वाले भवानीपुर में अब लगभग 60% गैर-बंगाली है। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से यहां वोट का पैटर्न और आबादी का मिजाज बदलता नज़र आ रहा है और यह भाजपा के करीब जाती दिख रही है। पिछले कई अलग-अलग चुनावों की बात करें तो भवानीपुर से ममता बनर्जी की पार्टी का वोट शेयर पहले के अपेक्षा अब गिरा है।